पुराने समय की बात है, दिल्ली में नसीरुद्दीन मोहम्मद एक मुसलमान बादशाह हुआ है। उसका नियम था कि खजाने से अपने लिए कुछ भी खर्च ना करना, बल्कि हक हलाल की कमाई से अपना गुजारा करना। उसका काम था दरबार के काम से फारिग होकर अपने हाथ से कुरान शरीफ लिखना और इस ख्याल से कि लोग उचित से अधिक कीमत ना दें नौकर को दे देना कि इसको बाजार में जाकर बेच आ। नौकर कुरान शरीफ बेचकर जो पैसे लाता उससे अपना और बीवी बच्चों का गुजारा करता था।
बादशाह का जो नौकर था उसकी कई महीने की तनख्वाह बादशाह की और बाकी थी। एक बार नौकर के पास घर से चिट्ठी आई कि फौरन घर आओ। उसने बादशाह से कहा कि मुझे तनख्वाह दो, मुझे अपने घर जाना है। बादशाह के पास उस समय रुपए नहीं थे, उसने उसे कुछ दिनों के लिए टाल दिया। इस कई महीने और बीत गए। इतने समय में नौकर के घर से कई चिट्ठियां कि जल्दी घर आओ। आखिर नौकर ने बादशाह से इजाजत ले ही ली। बादशाह ने उसको दो रुपए दिए, नौकर हैरान हो गया। बादशाह ने नौकर से कहा, यह मेरी हक हलाल की कमाई है। हक्की कमाई में बहुत बरकत होती है। जाओ ! मालिक बरकत डालेगा।”
नौकर दो रुपए लेकर चला तो आया, सोचने लगा कि मैं घर जाऊंगा तो सगे संबंधी क्या कहेंगे कि तू बादशाह का नौकर था, लाया क्या है ? उस इलाके में उस साल अनारो की फसल बहुत हुई थी। रास्ते में एक जगह बड़े सस्ते और अच्छे अनार देखें। सोचा दो रुपए के यही अनार खरीद लूं। दो-दो चार-चार सबके हिस्से में आ जाएंगे। यह सोचकर उन रुपयों से अनार खरीद लिए। अच्छा खासा गट्ठर बन गया।
गट्ठर उठाकर घर की ओर चल पड़ा। उसका घर बांगड़ देश में था। संजोग से वहां की रानी बीमार हो गई। बड़े-बड़े वैद्य और हकीम बुलाए गए। उन्होंने कहा कि इसकी जान तब बच सकती है जब इसको अनार का रस दिया जाए।
उस इलाके में अनार नहीं होते थे। बादशाह ने ढिंढोरा पिटवा दिया, “जो एक अनार लाएगा उसको एक हजार कृपया रुपया इनाम मिलेगा।” इतने में वह लोग कर भी वहां पहुंच गया। नौकर ने ढिंढोरा सुना। पता लगाया तो मालूम हुआ कि बात ठीक है। राज दरबार में गया। बादशाह ने अनार देखें। बादशाह अनार देख कर खुश हो गया बादशाह ने उसको कहा कि अनार बेचोगे, नोकर ने कहा हां जितने चाहे ले लो। बादशाह ने जरूरत के मुताबिक अनार ले लिए और एक हजार रुपए प्रति अनार के हिसाब से कीमत चुका दी। बादशाह ने दो सिपाही भी साथ में दे दिए कि जाओ, इसको सही सलामत से इसके घर पहुंचा दो। अब वह हजारों रुपयों का मालिक बन गया था। जब वह अपने घर पहुंचा तो उसके घरवाले उसके पास इतना धन और उसे इतना प्रसन्नचित्त देखकर बहुत खुश हुए।
आपने देखा कि हक हलाल की कमाई में कितनी बरकत होती है। जीवन में हमेशा हक हलाल की कमाई ही करनी चाहिए, क्योंकि हक हलाल की कमाई में बहुत बरकत होती है। हक हलाल से कमाए हुए दो रुपए भी नौकर को कितना कुछ दे गए। दोस्तों हमें भी जीवन में हमेशा हक हलाल की कमाई करनी चाहिए क्योंकि हक हलाल की कमाई में बहुत सुकून मिलता है
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