Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

गुरु नानक देव जी और भयंकर बाढ़

संसार को एक ईश्वर का ज्ञान देते हुए श्री गुरु नानक देव जी रोहिलखंड जा पहुंचे। जब गुरु नानक देव जी उस स्थान पर पहुंचे तो उस समय बारिशों के दिन चल रहे थे। गुरु जी ने वहां पर पहुंचकर देखा कि लोगों ने अपना समान गाड़ियों पर रखा हुआ है और ऐसा मालूम हो रहा था कि वह सभी कहीं जाने की तैयारी में है।

श्री गुरु नानक देव जी ने उनसे पूछा क्या बात है, तुम सब लोग बारिशों के दिनों में कहा जा रहे हो। हे महापुरुष हम इस नगर के निवासी हैं और बारिशों के दिनों में हम अपनी जान और माल की रक्षा के लिए इस स्थान छोड़ कर चले जाते हैं, यहां हमारी जान और माल को  खतरा है।  गुरु नानक देव जी ने उनसे पूछा तुम्हें किस बात का खतरा है। महाराज पास में ही नदी बह रही है और वह नदी बारिशों के दिनों में भयंकर रूप धारण कर लेती है, थोड़े ही समय में पूरा गांव बाढ़ से नष्ट हो जाएगा । हमें यहां से निकल जाना चाहिए। आप भी कृपया यह स्थान को छोड़ दे। उसने गांव वालों को आवाज दी चलो भाइयों जल्दी से निकल चलो थोड़ी देर में सब कुछ बहने वाला है।

गुरु जी ने सभी से कहा है तुम लोग कहीं मत जाओ और यहीं बैठो। करतार भली करेंगे । गुरु नानक देव जी की अमृतवाणी सुनकर सभी वहीं बैठ गए। गुरु जी संगत को गुरबाणी सुना रहे थे और दूसरी और पहाड़ों पर जोरदार बारिश होने लगी। थोड़ी देर में नदी का जलस्तर ऊपर चढ़ने लगा। लोग भय के कारण चिल्लाए महाराज नदी का जलस्तर बढ़ रहा है, सभी की जान खतरे में है। गुरु नानक देव जी ने एक मिट्टी का ढेला उठाया और अपने अंतर्मन यानी मन में ही शब्द कहे जो शब्द गुरु नानक देव जी ने कहे थे वह शब्द श्री गुरु ग्रंथ साहिब अंक 464 में दर्ज है। हवा सदा ही ईश्वर के डर से चल रही है, लाखों नदियां भी ईश्वर के भय यानी डर से बह रही हैं । आग जो सेवा कर रही है वह भी रब के भय मे ही है। सारी धरती ईश्वर के डर के कारण ही भार तले  दबी हुई है। रब के भय में ही राजा इंद्र सर के बल सो रहे हैं, भाव यानी बादल उनकी रजा में ही उड़ रहे हैं। धर्मराज का दरबार भी रब के डर में ही है। सूर्य और चंद्रमा भी रब के हुकुम में है। करोड़ों कोस चलते हुए भी रास्ते का अंत नहीं आता।सिद्ध बुध देवता और नाद सारे ही उस परमात्मा के भय में हैं। कहने का भाव यह है कि इस सृष्टि को चलाने वाला सिर्फ एक परमात्मा है। और इस सृष्टि में सभी को उस परमात्मा का भय है। हे नानक सिर्फ एक सच्चा निरंकार ही है जो भय रहित है।

गुरुजी ने अपने मन में यह शब्द सिमरे और उस मिट्टी की डली को नदी में प्रवाह कर दिया।  और जैसे ही मिट्टी का डला नदी में गिरा नदी का बहाव पीछे होना शुरू हो गया। आज भी वह नदी उस स्थान से लगभग 15 सो मीटर दूर बह रही है, जिस स्थान की यह घटना है। यह स्थान उत्तराखंड के काशीपुर में स्थित है।बाबा हरबंस ने इस स्थान पर कार सेवा की और एक भव्य गुरुद्वारे का निर्माण करवाया और इस पावन पवित्र स्थान का नाम गुरुद्वारा ननकाना साहिब रखा और कहा जो लोग ननकाना साहिब पाकिस्तान नहीं जा सकते, वह इस गुरुद्वारे के दर्शन कर गुरु जी का आशीर्वाद ले पाएंगे।

शिक्षा : इस आध्यात्मिक साखी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो इस इस युग में परमात्मा की भक्ति करेगा, उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकेगा, उसे किसी भी चीज का भय नहीं होगा। इसलिए हमें रोज समय का दसवां हिस्सा परमात्मा की याद में बैठना चाहिए। अगर हमने यह सब कर लिया तो परमात्मा हमारा स्वार्थ भी पूरा करेगा और परमार्थ भी। कहने का मतलब यह है कि हम इस दुनिया में भी बिना डर के रह सकेंगे और मरने के बाद हमें उसके दरबार में जगह मिलेगी।

दोस्तों अगर आपको मेरा यह लेख अच्छा लगा हो तो कृपया व्हाट्सएप और फेसबुक पर जरूर शेयर कीजिए, आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट के रूप में भी दे सकते हैं।

आपके प्यार और स्नेह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *