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परमात्मा के ऊपर विश्वास

 

 

जीवन में हमें हमेशा परमात्मा के ऊपर विश्वास करना चाहिए क्योंकि अगर हमारा परमात्मा के ऊपर पूर्ण विश्वास होगा तो ही हम जीवन में आगे बढ़ पाएंगे। जब तक हम परमात्मा के ऊपर विश्वास नहीं करेंगे हम कभी भी रूहानी तरक्की नहीं कर पाएंगे। परमात्मा के ऊपर हमें इतना ज्यादा विश्वास होना चाहिए के अपने जीवन के सभी फैसले उसी के ऊपर छोड़ देनी चाहिए। हमें सिर्फ परमात्मा की भक्ति के ऊपर ध्यान देना चाहिए अगर हम सिर्फ भक्ति के ऊपर ध्यान देंगे तो हमें कभी भी, किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

 भक्ति करने के लिए हमारे अंदर पूर्ण विश्वास होना चाहिए अपने गुरु के ऊपर। अगर गुरु के ऊपर पूर्ण विश्वास के साथ हम भक्ति करेंगे तो ही हमारी भक्ति सफल होगी। शिष्य को अपने गुरु के ऊपर इतना विश्वास होना चाहिए कि जीवन में कैसे भी हालात आए उसका विश्वास कभी डगमगाना नहीं चाहिए। अगर शिष्य को इतना विश्वास होगा तो गुरु उसका स्वार्थ नहीं पूरा करेगा और परमार्थ भी। हमें नामदेव जी की कहानी से शिक्षा लेनी चाहिए जिन्हें परमात्मा के ऊपर पूर्ण विश्वास था। इसी विश्वास की वजह से परमात्मा ने पत्थर को भी सोने का बना दिया था।

 बाबा नामदेव का कपड़े बेचना

 

 नामदेव जी एक पूर्ण संत हुए हैं। उनके गुरु ने उन्हें नाम की दौलत दी संसार में सबसे अमूल्य वस्तु है। नामदेव के घर वाले सभी सांसारिक लोग थे आप इस आंतरिक भेद को उनसे छुपाकर रखते थे। व्यवसाय से नामदेव छापे का कार्य करते थे। 6 दिन कपड़े ठाकते और सातवें दिन कपड़ा बेचने के लिए बाजार में ले जाते। और अपना गुजारा करते।

 नामदेव जी के चार -पांच भाई थे। एक बार की बात है कि सब भाइयों ने माल तैयार किया और मंडी में बेचने के लिए लेकर गए। नामदेव को भी एक गठरी दे दी। और सभी तो माल बेचने लगे, नामदेव एक तरफ भजन में बैठ गए। जब शाम हुई, दूसरे भाई माल बेचकर चले आए पर नामदेव अपनी गठरी उसी तरह घर ले आए क्योंकि तब तक सभी खरीदार जा चुके थे। घरवालों ने पूछा कि माल उसी तरह क्यों ले आए ? नामदेव ने बोला आज कोई खरीदार नहीं आया। घरवालों ने पूछा कि इतना माल किस तरह बिकेगा ? कीमत कम ज्यादा कर के दे आना था। नामदेव चुप रहे। फिर उन्होंने कहा कि उधार दे आना था। नामदेव फिर चुप रहे, जब बहुत तंग किया कि उधार ही दे आना था तो नामदेव ने पूछा, “उधार दे आऊं ?” कहने लगे, “जाओ उधार दे आओ।”

 बाहर पत्थर पड़े हुए थे। नामदेव उठे और गठरी के सारे कपड़े खोलकर एक-एक करके सब पत्थरों पर डाल आए और एक पत्थर जमानत के तौर पर ले आए। घरवालों ने पूछा कि कपड़ा उधार दे आए हो ? नामदेव ने कहा, “हां, दे आया हूं।” उन्होंने पूछा कि लोग पैसे कब देंगे ? रामदेव ने कहा कि 7 दिन के बाद।

 किसी ने आकर घरवालों को बताया कि नामदेव कपड़े बाहर पत्थरों पर डाल आए हैं और लोग पत्थरों पर से कपड़े उठाकर ले गए हैं। पैसे किसे देने थे ? घर के लोग दुखी हुए कि पैसे कहां से आएंगे ? नामदेव ने कहा कि आप चिंता ना करो। मैं जमानत साथ ले आया हूं। जब सातवां दिन आया, घरवालों ने नामदेव से पैसे मांगे। नामदेव वह पत्थर उठा लाए। पत्थर सोने का बन चुका था। उन्होंने कहा कि जितने मूल्य के तुम्हारे कपड़े थे, उतने काट लो, बाकी रहने दो।

 परमात्मा अपने सच्चे भक्तों का हर पल ख्याल रखते हैं और उन्हें हर मुसीबत से निकालते हैं। 

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 आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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