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परमात्मा पर विश्वास


 हम सबको परमात्मा पर हमेशा ही विश्वास रखना चाहिए क्योंकि परमात्मा जो कुछ करता है वह हमारी बेहतरी के लिए करता है। कई बार ऐसा भी होता है हमारे जीवन में हमें लगता है कि यह परिस्थितियां हमारे उलट चल रही है, लेकिन जब उनका नतीजा निकलता है तो बहुत ही अच्छा होता है। इसलिए परमात्मा जो कुछ भी कर रहा होता है वह सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता है। इसलिए हमें हमेशा परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिए।

परमात्मा ने हमें विवेक दिया है। हमें हर एक काम में अपने विवेक को इस्तेमाल करना है, और विश्वास रखना है कि जो कार्य हम कर रहे हैं वह हमें सफलता की तरफ ही ले जाएगा।इसलिए हमें सफलता पाने के लिए कोई भी बुरा कर्म नहीं करना चाहिए । हमारे जीवन में कितने भी हालात खराब क्यों ना हो, बुरे कर्मों से हमें हमेशा बचना चाहिए । क्योंकि बुरे कर्म हमारे अंतर में परमात्मा के प्रति विश्वास को कमजोर कर देते हैं।

लेकिन जिनके अंदर परमात्मा का पूर्ण विश्वास होता है वह यह बुरे कर्म नहीं करते, क्योंकि उन्हें पता होता है कि परमात्मा हमारे साथ है वह हमेशा अच्छे कर्मों की तरफ ही ध्यान देते हैं।और अंत में उन्हें सफलता भी जरूर मिलती  है। 

 यह मैं आपको एक कहानी के जरिए बताने की कोशिश करती हूं ।

हजरत युसूफ और रानी जुलेखा की कहानी

हजरत यूसुफ जिसको बाइबिल में जोसेफ कहा गया है, बहुत सुंदर और बुद्धिमान था। उसके बड़े भाई उससे ईर्ष्या करते थे। दरअसल वे उससे घृणा करते थे क्योंकि वह बचपन से ही हर क्षेत्र में उनसे आगे रहता था। इस ईर्ष्या के कारण उन्होंने एक योजना बनाई कि उसे एक गुलामों के व्यापारी के पास बेच दिया जाए।   उस व्यापारी ने उसे खरीद कर, एक बड़ी रकम लेकर उसे मिश्र के बादशाह के पास बेच दिया।

उस बादशाह की बेगम का नाम था जुलेखा। हजरत यूसुफ की शक्ल देख कर वह उस पर मोहित हो । एक दिन वह हजरत यूसुफ को अपने महल के अंदर ले गई, बाहर से दरवाजे बंद कर दिए और अपना बुरा विचार प्रकट किया। अब हजरत यूसुफ ने सोचा कि एक और तो मेरा इमान जाता है और मालिक की दरगाह से सजा मिलती है, दूसरी और यह बादशाह की बेगम है, अगर इसका कहना नहीं मानता तो यह मुझ पर झूठा इल्जाम लगाकर सुबह मुझे मरवा देगी, इसलिए मैं करूं तो क्या करूं ? वह सोच ही रहा था कि जुलेखा ने वहां पड़ी पत्थर की मूर्ति पर कपड़ा डालकर उसे ढक दिया।

वह पत्थर की मूर्ति की पूजा किया करती थी। हजरत यूसुफ ने देखा तो पूछा, “यह क्या है ?” उसने कहा, यह मेरा देवता है। मैं इसकी पूजा करती हूं, इसलिए पर्दा डाला है ताकि यह देख ना ले।”

हजरत यूसुफ ने कहा, “जिसकी तू पूजा करती है उसके ऊपर तो कपड़ा डाल दिया, वह तो अब नहीं देखता, लेकिन जो मेरा खुदा है वह तो हर जगह मौजूद है, सब कुछ देखता है।” यह कहकर वह बाहर की ओर भागा। जुलेखा ने पीछे से कुर्ता पकड़ा, कुर्ता फट गया, लेकिन वह दौड़ कर बाहर निकल गया।

जुलेखा ने अपने पति बादशाह से शिकायत की कि यूसुफ ने मुझे छुआ है, यह बदमाश है, इसे फांसी पर चढ़ा दो। बादशाह दुविधा में पड़ गया की रानी की बात पर यकीन करें कि उसे सुंदर गुलाम का। इसलिए उसने तहकीकात की। युसूफ से पूछा। उसने सच सच बता दिया। फिर बादशाह ने अपने अमीरों वजीरो से सलाह ली, तो उन्होंने कहा कि इसका एक ही पक्का सबूत है। बादशाह ने पूछा कि वह क्या ? उन्होंने कहा कि अगर कुर्ता आगे से फटा है तो यूसुफ की गलती है, अगर पीछे से फटा है तो युसूफ भागा है और जुलेखा ने कुर्ता पकड़ा है, तब वह फटा है। जब देखा, पता चला कि उसका कुर्ता पीछे से फटा हुआ था। अब जुलेखा की शर्मनाक हरकत साबित हो गई और हजरत यूसुफ को छोड़ दिया गया।

अगर हमारे अंदर यह खयाल पक्का हो जाए कि यकीनन खुदा हर जगह हाजिर नाजिर है, दुनिया में बहुत से बुरे कर्मों में कमी हो जाए। फिर हर एक व्यक्ति अच्छा कर्म ही करेगा क्योंकि उसे पूर्ण विश्वास होगा परमात्मा पर।

तो चलो दोस्तों हम भी परमात्मा पर पूर्ण विश्वास करते हैं। बुरे कर्मों के बजाय अच्छे कर्म करते हैं सफलता हमें भी जरूर मिलेगी।

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