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श्री गुरु नानक देव जी और मरा हुआ हाथी


हिमालय की गोद से यमुना नदी शिवालिक पहाड़ियों से बहती हुई  जहां जहां से गुजरती है वहां की धरती को हरा-भरा कर देती है।   उत्तर दिल्ली की ओर एक ऊंचा टीला था जिस पर एक साधु मजनू रहते थे उन्हीं के नाम पर उस टीले का नाम मजनू का टीला पड़ा। उस टीले के साथ से यमुना नदी गुजरती थी, जिसके कारण आसपास बहुत हरियाली थी।

 पानीपत की यात्रा के पश्चात जब श्री गुरु नानक देव जी भाई मरदाना उस टीले से गुजरे तो उसकी सुंदरता को देखकर भाई मरदाना ने कहा गुरुजी,  कितना सुंदर दृश्य है ऐसा लगता है मानो हम देव लोक में आ गए हैं, क्यों ना हम कुछ दिन यहां आराम कर ले। बाबा नानक ने भाई मरदाना के आग्रह को मान लिया।

वहां पास में एक आदमी रहता था जब उसे पता चला कि कोई महापुरुष उस टीले पर पधारे हैं तो वह अपनी पत्नी के साथ वहां पहुंचे और कहां आप जैसे महान संत यहां आए हैं, आपके आने से यह धरती पवित्र हो गई है। बाबा नानक ने उनसे पूछा कि क्या करते हो तुम ?

सुल्तान इब्राहिम लोदी के इस टीले पर कई हाथी हैं उनमें से एक हाथी की हम सेवा करते हैं, मैं और मेरी पत्नी यही काम करते हैं । उसकी पत्नी बोली, आप लोग बैठो बातचीत करो। मैं आपके लिए भोजन लाती हूं। आप लोगों को कुछ और चाहिए तो बताना। बाबा नानक बोले, वाहेगुरु भला करें ।  इसके बाद दोनों वहां से चले गए। गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना ने रात के भोजन करने के पश्चात आराम करने लगे।

अगली सुबह भाई मरदाना भजन करने लगे, इतने में जोर जोर से रोने की आवाजें आने लगी। बाबा नानक ने भाई मरदाना से पूछा कि मरदाना क्या हुआ ?मरदाना बोला गुरु जी अभी देखता हूं। वापस आकर मरदाना ने सारी बात गुरुजी को बताई। बाबा नानक एकदम उस स्थान की तरफ निकल पड़े जहां से रोने की आवाज आ रही थी। गुरुजी ने पूछा कि क्यों रो रहे हो ?

गुरु जी को देखकर वह आदमी जोर जोर से रोने लगा और बोला की सुल्तान लोधी का हाथी मर गया। बाबा नानक बोले कि मरना तो एक दिन सब ने है। सुल्तान लोधी दूसरा हाथी खरीद लेंगे उनके पास पैसे की क्या कमी है। वह आदमी बोला गुरु जी आप सही कह रहे हो लेकिन इसका दोष हमारे ऊपर भी लग सकता है कि हमने हाथी की देखभाल सही ढंग से नहीं की। मान लो अगर यह दोष नहीं भी लगता तो, क्या भरोसा जो नया हाथी आएगा उसकी देखभाल करने की जिम्मेवारी हमें ही मिलेगी। गुरुजी हमारी तो नौकरी ही चली जाएगी फिर हमारा घर कैसे चलेगा?

बाबा नानक का कोमल हृदय उसका दुख देख कर बहुत दुखी हुआ। बाबा नानक उससे बोले कि अगर तुम्हारा हाथी जिंदा हो जाए तो क्या तुम रोना बंद कर दोगे। वह व्यक्ति बोला गुरु जी ऐसा कैसे हो सकता है। एक बार मरने के बाद कोई जिंदा कैसे हो सकता है ? बाबा नानक बोले, जिंदगी देने वाला वह परमात्मा ही है और जिंदगी लेने वाला भी वह परमात्मा है। वह व्यक्ति बोला गुरूजी आप संत हो, आप सब कुछ कर सकते हो। कृपया मेरे परिवार पर आए इस संकट को दूर करो।

गुरुजी ने उसको बोला कि इसके माथे को सहलाओ और इसके कान में बोलो, हे ईश्वर। जैसा बाबा नानक ने कहा था उस व्यक्ति ने वैसा ही किया। उसने हाथी के माथे को सहलाया और बोला हे ईश्वर, उसके ऐसा करते ही एकदम हाथी खड़ा हो गया। जैसे उसको कुछ हुआ ही नहीं था।

आसपास खड़े हुए लोग हाथी को जिंदा होते हुए देखकर हैरान हो गए। श्री गुरु नानक देव जी ने हाथी को जिंदा कर दिया, यह बात पूरे शहर में फैल गई।

दूसरी ओर सुल्तान लोधी को हाथी के मरने की पुष्टि जानवरों के वैद्य ने पहले ही कर दी थी। सिपाही ने राजा से कहा कि आपका प्रिय हाथी एक दिव्य संत ने जीवित कर दिया है। सुल्तान लोधी उसको बोला कि तुम कैसी बातें कर रहे हो क्या मरने के बाद कोई जीवित होता है ? सुल्तान लोधी ने अपने दो सिपाही और जानवरों के वैद्य को महावत के घर भेजा।

उन लोगों ने वापस आकर राजा को बताया कि सुल्तान हाथी सचमुच जिंदा हो गया है। यह खबर बिल्कुल सच है। सुल्तान लोधी बोला तुम कैसी बातें कर रहे हो, मैं खुद जाऊंगा और देखूंगा कि ऐसा कौन सा संत है जिसने मरे हुए हाथी को जीवित कर दिया।

राजा वहां पहुंचा और बोला आपका स्वागत है महापुरुषों लेकिन मेरा दिल यह बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं है कि आपने मरे हुए हाथी को जिंदा कर दिया है । क्या यह बात सच है कि आपने मरे हुए हाथी को जिंदा किया है ?

बाबा नानक बोले, ईश्वर ही जिंदगी देता है और ईश्वर ही जिंदगी लेता है। सुल्तान लोधी बोला ए फकीर मैं आपकी बात बिल्कुल भी समझा नहीं हूं। गुरुजी बोले, कौन मरेगा और कौन जीवित रहेगा इसका फैसला तो सिर्फ ईश्वर ही कर सकते हैं। और किसी में इतनी शक्ति नहीं है कि वह किसी को जीवित कर सके या मार सके। सुल्तान लोधी बोला फिर आपने इसको जीवित कैसे किया ?

गुरुजी बोले, इंसान अगर सच्चे मन से ईश्वर से कुछ मांगता है तो ईश्वर उसकी पुकार जरूर सुनते हैं । ईश्वर की वजह से ही उसका कार्य पूर्ण होता है। महावत ने सच्चे दिल से उस ईश्वर से पुकार की और ईश्वर ने उसकी पुकार सुन ली और हाथी को जीवित कर दिया। इंसान तो सिर्फ उस ईश्वर से मांग सकता है आगे दया करना उस ईश्वर के हाथ में है।

सुल्तान लोधी को विश्वास नहीं हुआ और वह बोला कि अगर आप सच्चे दिल से यह मांगेंगे कि यह हाथी मर जाए तो क्या यह मर जाएगा? बाबा नानक बोले कि हम तो सिर्फ उस ईश्वर से प्रार्थना“ सकते हैं। आगे करना या नहीं करना उसके हाथ में है।

इसके पश्चात गुरु जी ने ईश्वर का सिमरन शुरू किया। और आकाश की तरफ हाथ उठाया। गुरुजी के ऐसा करते ही वह हाथी एकदम नीचे गिर गया। सुल्तान लोधी के सिपाहियों ने देखा कि वह हाथी मर चुका था। यह सब देखकर सुल्तान लोधी भौचक्का रह गया, वह बोला हे महापुरुष आपने तो सचमुच ही कमाल कर दिया। पहले आप ने हाथी को जिंदा कर दिया और फिर ईश्वर से फरियाद करके उसको मार दिया, यकीनन आपने कमाल का काम किया है। मैं हैरत में हूं। मैंने आज तक ऐसा करिश्मा कभी नहीं देखा अब आप कृपया करके इस हाथी को जिंदा कर दें।

बाबा नानक बोले, सुल्तान अब यह मुमकिन नहीं है। अब तुम्हारा यह हाथी जिंदा नहीं हो सकता। सुल्तान लोधी बोला ऐसा कैसे हो सकता है जब पहले अपने मरे हुए हाथी को जिंदा कर दिया और फिर जिंदा हाथी को मार दिया तो अब आप इसे दोबारा जिंदा क्यों नहीं कर सकते ?

बाबा नानक बोले कि मैंने ईश्वर का सिमरन किया और उससे कुछ मांगा। यह मेरी प्रार्थना थी और ईश्वर की दया। ईश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन कर मेरे ऊपर दया की अब मुझे ईश्वर के फैसले का आदर करना चाहिए।

मैं कुछ समझा नहीं सुल्तान लोधी बोला। गुरुजी बोले, सुल्तान लोहा लोहा होता है। वह आग नहीं होता अगर तुम उसे आग में डाल दोगे तो वह तप कर लाल हो जाएगा और कोई इंसान तपते हुए लोहे को पल भर भी अपने हाथ पर नहीं रख सकता। अगर वह उसे हाथ में ले लेगा तो उसका हाथ जलना निश्चित है। पर कुछ पल के लिए आग को बिना जले हुए हाथ पर रखा जा सकता है,इसी तरह संत भी ईश्वर की भक्ति में रमे होते हैं। वह ईश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं, याचना कर सकते हैं कि अपने फैसले को बदल दे लेकिन ईश्वर वह नहीं बदल सकते जो संत ने किया हो। बाबा नानक की बातें सुनकर सुल्तान लोधी ने उस परिवार को एक नया हाथी दिलवा दिया और बाबा नानक अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए अपनी अगली यात्रा पर चल दिए ।

शिक्षा : श्री गुरु नानक देव जी की साखी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परमात्मा से ज्यादा ताकत गुरु में होती है। इसलिए हमें कभी भी गुरु के ऊपर संदेह नहीं करना चाहिए क्योंकि गुरु का किया हुआ ईश्वर भी नहीं पलट सकते। हम लोग यह दिन रात जो गुरु से मांगते रहते हैं, गुरु में इतनी ताकत होती है वह हमें सब कुछ दे सकता है लेकिन गुरु हमें वही देगा जो हमारे लिए बेहतर होगा। इसलिए हमें हमेशा सोच समझकर मांगना चाहिए। अगर हमें कोई चीज नहीं मिलती तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। हमेशा अपने गुरु के ऊपर विश्वास करना चाहिए।

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