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कर्मों का फल कहानी

कर्मों का फल कहानी,
motivational story in hindi

                                           

कर्मों का फल कहानी 

मनुष्य के कर्मों का फल लौटकर अवश्य आता है । दोस्तों कर्म चाहे अच्छा हो या बुरा, मनुष्य को उसका फल भोगना ही पड़ता है । कहते हैं कि कर्मों की गति बहुत ही विचित्र है । कर्म फल मिलता अवश्य है इससे कोई भी नहीं बच सकता ।

एक बार एक महात्मा देव साधना में लीन थे । गुरु के दो शिष्य थे जो देखरेख कर रहे थे कि कहीं उनकी साधना में कोई विघ्न ना आए । देव साधना के वक्त गुरु को ऐसा ज्ञात हुआ कि मेरे एक शिष्य की आठवें दिन में मृत्यु हो जाएगी । गुरुदेव की साधना पूर्ण होने के बाद जब गुरु ने आंखें खोली तो उन्हें अपने दोनों शिष्य सामने नजर आए ।

गुरु ने सोचा कि अगर मैं अपने शिष्य को यह बता देता हूं कि आठवें दिन  तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी तो उसे बहुत दुख होगा तब गुरु ने उन शिष्यों से कहा, हे मेरे 

शिष्यों मुझे बताओ तुम्हारी कोई इच्छा है ? अगर तुम्हारी कुछ इच्छाएं हैं तो शीघ्र ही मुझे बताओ ।

पहले शिष्य ने कहा कि गुरुदेव मेरी बहुत दिनों से इच्छा है कि मैं अपने घर जाना चाहता हूं । दूसरे शिक्षा ने कहा हे गुरुदेव, मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता ।

गुरु की आज्ञा लेकर पहला शिष्य अपने घर की तरफ चल पड़ा । वह शिष्य चला जा रहा था कि रास्ते में उसे चीटियों का झुंड दिखाई दिया  । उनमें से कुछ चीटियां बड़े आकार की थी जो आराम से आ जा रही थी लेकिन जो छोटी चीटियां थी उनको आने जाने में बड़ी परेशानी हो रही थी । यह सारा दृश्य वह  शिष्य वही खड़ा होकर देख रहा था तभी उसने देखा की  कुछ दूर नदी बह रही थी और उस नदी का पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा था ।

शिष्य ने सोचा कि कहीं इस नदी का पानी चीटियों के स्थान में ना आ जाए अन्यथा यह सारी चीटियां मर जाएंगी । वह अभी इस बात को सोच ही रहा था कि नदी का पानी धीरे-धीरे चीटियों की तरफ बढ़ने लगा तब उस शिष्य ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और जिस तरफ से नदी का पानी चीटियों की तरफ आ रहा था उसने उस पत्थर को वहां अच्छी तरह से लगा दिया जिससे चीटियों पानी की वजह से बह ना जाए ।

लेकिन उसने देखा कि उस पत्थर को लगाने के बाद भी काम ना बना तो शिष्य ने अपने कपड़ों को उतार कर और मिट्टी में लपेटकर जिस तरफ से नदी का पानी चीटियों की तरफ आ रहा था, उसी तरह उसने मिट्टी से सने हुए कपड़ों को लगा दिया जिससे चीटियां पूर्ण रूप से सुरक्षित हो गई । उसके बाद शिष्य अपने घर की तरफ चल पड़ा ।

वह शिष्य सात दिन तक अपने घर में रहा एवंम आठवें दिन अपने घर के सदस्यों से यह कहते हुए लौटने लगा कि गुरुदेव ने कहा था कि आठवें दिन तुम मेरे पास वापस लौट आना इसलिए आज मुझे वापस जाना होगा यह कहते हुए वह गुरु की कुटिया की तरह प्रस्थान कर गया ।

इधर गुरु चिंता में थे कि आज मेरा शिष्य इस दुनिया से विदा ले लेगा अंतिम बार उसको जीवित देख लूं यह सोच सोच कर वह दुखी हो रहे थे । दूसरे शिष्य ने गुरु को उदास देखा तो पूछने लगा कि, हे गुरुदेव क्या बात है आज बहुत उदास नजर आ रहे हो तब गुरु ने उसे पहले शिष्य की आठवें दिन मौत की बात को बताया । तब गुरु ने सामने की तरफ देखा तो अपना  शिष्य आता हुआ दिखाई दिया ।

गुरु शिष्य को देखकर एकदम उठ खड़े हुए और दौड़ते हुए शिष्य को गले से लगा लिया लेकिन उसकी मृत्यु के बारे में उससे कुछ भी नहीं कहा । गुरु उस दिन चिंता में डूबे हुए थे । रात को उनको नींद भी नहीं आई । अगला दिन जैसे ही शुरू हुआ सामने अपने पहले शिष्य को देखकर आश्चर्यचकित रह गए ।

गुरु सोचने लगे कि आज तक मेरी देव साधना से जो भी ज्ञात हुआ वह हमेशा सत्य हुआ लेकिन आज यह कैसे बदल गया लेकिन गुरु अपने शिष्य को जीवित देखकर बहुत खुश थे ।

गुरु ने पहले शिष्य से पूछा कि तुम यहां से अपने घर जाते हुए और वापस लौटते हुए जो कुछ भी रास्ते में हुआ उसके बारे में मुझे बताओ । शिष्य ने चीटियों वाली बात का पूरा वृतांत गुरु को बताया, गुरु ने उसकी बात सुनकर कहा कि आज मैं समझ गया सृष्टि सत्य और पुण्य कार्यों की वजह से ही चल रही है ।

गुरु ने शिष्य को कहा कि हे वत्स आठवें दिन तुम्हारी मृत्यु होनी थी लेकिन तुम्हारे परोपकार और अच्छाइयों की वजह से तुम्हारे पुण्य कर्मों ने तुम्हारी अकाल मृत्यु को टाल दिया । तुमने असंख्या चीटियों के प्राणों की रक्षा की इसलिए ईश्वर ने तुम्हारे प्राणों की रक्षा की । गुरु ने कहा है शिष्य अगर हम विपत्ति में किसी की मदद करते हैं तो ईश्वर हमें उसका हजार गुना करते वापस देते हैं । कर्म चाहे अच्छा हो या बुरा लेकिन एक दिन लौटता वापिस जरूर है ।

शिक्षा : दोस्तों हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में हम अच्छा या बुरा जो भी करते हैं वह एक दिन वापस जरूर हमें मिलता है इसलिए हमारी हमेशा यही कोशिश होनी चाहिए कि अच्छा कर्म ही करें और उस परमात्मा को खुश रखे क्योंकि परमात्मा ने हमें इस दुनिया में भेजा ही अच्छे कर्म करने के लिए है ।

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