Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

Warning: sprintf(): Too few arguments in /www/wwwroot/spiritualstories.in/wp-content/themes/newsmatic/inc/breadcrumb-trail/breadcrumbs.php on line 252

गुरु नानक देव जी ने गरीब का घर क्यों गिराया

गुरु नानक देव जी ने गरीब का घर क्यों गिराया


एक बार अपनी यात्रा के दौरान श्री गुरु नानक देव जी लोगों का उद्धार करते हुए अपने एक सेवक के घर पहुंचे, उस सेवक का नाम था गुरबचन सिंह । सेवक ने जब दूर से श्री गुरु नानक देव जी को अपने घर की तरफ आते देखा तो बहुत खुश हुआ । सेवक गुरु नानक देव जी का स्वागत बड़ी ही धूमधाम से करना चाहता था लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी क्योंकि वह बहुत ही गरीब था ।

उस सेवक के पास एक मिट्टी के घर के अलावा कुछ भी नहीं था । सेवक ने श्री गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना जी का बहुत आदर सत्कार किया और उसके घर में एक चारपाई थी जिसके ऊपर उसने गुरुजी और भाई मरदाना को बिठाया । गुरुजी ने सेवकों को कहा कि आज की रात हम यही तुम्हारे पास ही रुकेंगे और कल सुबह  हम चले जाएंगे ।

गुरुजी के मुंह से यह वचन सुनकर गुरबचन सिंह बहुत खुश हुआ और गुरु जी के चरणों में गिर गया ।सेवक के घर में खाने के लिए कुछ ज्यादा नहीं था लेकिन जो कुछ भी घर में था वह उसने आदर और श्रद्धा के साथ गुरु जी के आगे पेश कर दिया ।

भाई मरदाना उस सेवक की गरीबी देखकर बहुत दुखी हुआ और उस पर तरस आया । भाई मरदाना ने सोचा कि इस आदमी के पास जो कुछ भी थोड़ा बहुत था वह भी इसने हम लोगों के आगे पेश कर दिया । भोजन करने के पश्चात गुरुजी ने भाई मरदाना जी को कहां कि जिन बर्तनों में हमने अभी खाना खाया है उन बर्तनों को तोड़ दो ।

पहले तो भाई मरदाना जी को गुरुजी की बात सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ फिर उसने सोचा कि अगर गुरु जी ने यह वचन कहे हैं तो कुछ सोच कर ही कहे होंगे ।

भाई मरदाना ने गुरुजी के हुक्म के अनुसार वह सारे बर्तन तोड़ दिए जिसमें उन्होंने खाना खाया था । भाई मरदाना ने जब बर्तन तोड़ने के बाद सेवक की तरफ देखा तो सेवक ने कहा मेरे पास जो कुछ भी है गुरुजी का ही है । गुरु जी आपको जो भी हुकुम करें आप वही करो । इसके बाद गुरु जी के हुक्म के अनुसार भाई मरदाना जी ने जो थोड़ी बहुत और भी चीजें सेवक के घर में पड़ी थी वह भी तोड़ दी ।

अगले दिन गुरु नानक देव जी ने सेवक को अपने पास बुलाया और कहने लगे कि हमें अपनी यात्रा को जारी रखने लिए जाना होगा । सेवक ने गुरु जी से कहा कि आपने अपने पवित्र चरण मेरी इस गरीब की कुटिया में डाले है इसलिए मैं बहुत खुश हूं लेकिन मेरी आपसे एक प्रार्थना है । मैं कुछ दूर तक आपके साथ चलना चाहता हूं ताकि मैं कुछ समय और आपके साथ बिता सकूं । 

गुरु जी ने सेवक को अपने साथ चलने की अनुमति दे दी लेकिन घर से निकलने से पहले गुरु जी ने भाई मरदाना जी को कहा कि सेवक का  यह मिट्टी का घर  भी पूरी तरह से तोड़ दो । भाई मरदाना जी को गुरु जी की इस बात का कोई भी मतलब समझ नहीं आया लेकिन इस बार उसने गुरुजी  से पूछ ही लिया कि गुरु जी इस सेवक के पास तो सिर्फ यह एक मिट्टी का ही घर है अगर हमने इसको भी तोड़ दिया तो यह बेचारा कहां रहेगा । सेवक ने भाई मरदाना जी की बात सुनकर उनको कहा कि गुरुजी जो भी हुकुम दे रहे हैं उसको आप पूरा करो क्योंकि मेरे पास जो कुछ भी है गुरु जी का दिया हुआ ही है ।मेरा अपना यहां पर कुछ भी नहीं है ।

यह सुनकर भाई मरदाना जी ने घर को तोड़ना शुरू कर दिया । घर को तोड़ने के पश्चात गुरुजी और भाई मरदाना और सेवक यात्रा के लिए आगे चल पड़े । जब सांझ होने लगी तो गुरुजी ने सेवक को कहा कि अब तुम अपने घर वापस चले जाओ क्योंकि वहां थोड़ा सा काम बाकी रह गया है, जाकर उस काम को पूरा करो । 

सेवक ने गुरु जी के चरणों को हाथ लगाया और खुशी-खुशी अपने घर की तरफ वापिस चल दिया जब सेवक अपने घर के पास वापस पहुंचा तो उसने देखा कि एक दो फीट की दीवार जो अभी तक खड़ी थी तो उसने सोचा शायद भाई मरदाना जी इसको गिराना भूल गए हैं । इसलिए  गुरु जी ने घर जाकर काम पूरा करने के लिए कहा होगा ।

सेवक ने गुरु जी का नाम लेकर उस दीवार को भी तोड़ना शुरू कर दिया । जब उसने दीवार को गिराना शुरू किया तो उसने देखा कि दीवार के नीचे जो जमीन है वह बहुत ही कमजोर है । जब सेवक ने उस जगह को साफ करके देखा तो उसके नीचे एक सोने की खान थी जिसको देखकर सेवक बहुत खुश हुआ और हैरान भी हुआ कि मैं इतने सालों से एक सोने की खान के ऊपर रह रहा था । गुरु नानक देव जी के आशीर्वाद की वजह से सेवक की जिंदगी ही बदल गई ।

शिक्षा : श्री गुरु नानक देव जी की साखी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर परमात्मा हमसे कुछ ले रहा है तो इसके बदले में उसने हमारे लिए कुछ अच्छा ही सोचा होगा इसलिए हमेशा परमात्मा के ऊपर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि परमात्मा जो कुछ भी करता है हमारे अच्छे के लिए ही करता है ।

दोस्तों मेरा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो कृपया व्हाट्सएप और फेसबुक पर जरूर शेयर कीजिए आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट के रूप में भी दे कर सकते हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *