श्री गुरु नानक देव जी अपनी यात्रा के दौरान एक गांव में पहुंचे। उस गांव में एक बहुत ही भला आदमी रहता था। जब भी कोई संत महात्मा उस भले आदमी के घर जाता था तो वह उनका बहुत आदर सत्कार करता था और बड़े ही प्रेम भाव से उनकी सेवा करता था। वह अपने यहां पर आए हुए साधु संत से एक ही सवाल पूछता था कि साधु संतों के दर्शन से क्या फल मिलता है।
श्री गुरु नानक देव जी उसकी यह इच्छा पूरी करने के लिए उसके घर जा पहुंचे । वह आदमी गुरु जी को अपने घर आया देखकर बहुत खुश हुआ । उसने गुरु जी को बहुत ही आदर सम्मान के साथ बिठाया और बड़े ही प्यार से उनकी सेवा की । भोजन के पश्चात उसने श्री गुरु नानक देव जी से वही सवाल किया जो वह सभी संतो से करता था कि साधु संतों के दर्शन करने से क्या फल मिलता है । उसने गुरुजी से हाथ जोड़ कर कहा कि मैंने यह सवाल मेरे घर आए सभी साधु संतों से किया लेकिन मुझे अभी तक इसका कोई ऐसा जवाब नहीं मिला जिससे मेरी संतुष्टि हो सके, आप एक संपूर्ण गुरु है कृपया मेरे इस सवाल का जवाब दें ताकि मेरी पूर्ण रूप से संतुष्टि हो सके ।
श्री गुरु नानक देव जी ने उसको कहा कि कल तुम एक वीरान जगह में जाना जहां तुम्हें एक बहुत ही सुंदर नजारा देखने को मिलेगा । वहां पर तुम एक पेड़ के नीचे वाहेगुरु का नाम लेकर बैठ जाना, तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर वही मिल जाएगा और तुम्हारी संतुष्टि भी हो जाएगी ।
वह आदमी गुरुजी की बात मानकर अगले दिन एक वीरान जगह पर चला गया । वहां जाकर वह गुरु जी की बताई हुई जगह पर वाहेगुरु का नाम लेकर बैठ गया । उस पेड़ के ऊपर दो कौवे बैठे थे, जैसे ही उन कौवे की नजर उस भले आदमी पर पड़ी वह एकदम बगुले के रूप में परिवर्तित हो गए । थोड़ी देर बैठने के बाद वह आदमी यह हैरान करने वाला दृश्य के बारे में सोचता हुआ घर वापस आ गया । घर आकर वह श्री गुरु नानक देव जी से बोला कि गुरु जी आप के कहने पर मैं उसी जगह गया था जहां आपने कहा था, लेकिन मुझे ना तो वहां कोई मिला और ना ही मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर मिला । गुरु नानक जी ने कहा कोई बात नहीं कल तुम फिर वहां जाना तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा ।
अगले दिन वह आदमी गुरुजी की बात मानकर उसी जगह दोबारा चला गया । वह उसी पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया । उसने पेड़ के ऊपर देखा कल वाले दोनों बगुले वहीं बैठे थे जैसे ही बुगुलो ने उस भले आदमी की तरफ देखा वह एकदम हंस के रूप में परिवर्तित हो गए । वह आदमी यह देख कर बहुत हैरान हुआ । थोड़ी देर बैठने के पश्चात वह आदमी घर वापस आ गया और गुरु जी को पूरे दिन का वृतांत सुनाया । वह आदमी बोला गुरूजी मेरे साथ 2 दिन यह हैरान करने वाला वाकया हुआ है लेकिन मेरे प्रश्न का उत्तर मुझे अभी भी नहीं मिला । गुरुजी ने उसको कहा कि कल तुम एक बार फिर उस पेड़ के नीचे जाना जहां तुमने उन दोनों हंसों को देखा था कल तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा और तुम्हारी संतुष्टि भी हो जाएगी ।
अगले दिन वह आदमी फिर उस जगह जा पहुंचा । जैसे ही उन हंसों ने उस आदमी की तरफ देखा वह मनुष्य के रूप में परिवर्तित हो गए । वह दोनों पेड़ के नीचे आकर बैठ गए । उन दोनों को अपने सामने बैठे हुए देखकर वह आदमी बोला कि कृपया आप मुझे बताएं कि साधु संतों के दर्शन का क्या फल मिलता है ।
वह दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराए और उसको बोले कि क्या अभी तक आप को तसल्ली नहीं हुई । जब आप पहली बार यहां पर आए तो हम कौवे के रूप में थे परंतु जैसे ही आपके दर्शन हुए हम
बगुले के रूप में आ गए । दूसरी बार जब आप यहां आए तो हम बगुले के रूप में थे जैसे ही हमें आपके दर्शन हुए हम हंस के रूप में आ गए, इस बार आप आए हो तो आपके दर्शन करते ही हमें इंसान के रूप में आ गए । आपकी वजह से ही हमें यह इंसानी योनि मिल गई । अब अपने मन में साधु संतों के मिलाप के बारे में सोचो जिनके दर्शनों से हमें यह रूप मिला ।
आप जिस के दर्शन करके आए हो कृपया आप हमें भी उनसे मिलवा दो ताकि हमारा जीवन भी उनके दर्शन करके धन्य हो जाए ।
वह आदमी खुशी-खुशी उन दोनों को अपने साथ घर ले आया । वह गुरुजी के पास पहुंचे और उनको प्रणाम करके उनके सामने बैठ गए । श्री गुरु नानक देव जी ने उस भले आदमी से पूछा कि क्या अब तुम्हारी संतुष्टि हो गई है । वह आदमी बोला मुझे अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया कि साधु संतों के दर्शन का क्या फल मिलता है । आपके दर्शनों के बाद अब मेरे अंदर कोई भी ऐसा प्रश्न नहीं रहा ।
श्री गुरु नानक देव जी ने उससे कहा कि साधु संतों की सेवा करके तुम्हारे जीवन मरण के सभी चक्कर समाप्त हो गए हैं । मनुष्य को अपने किए हुए कर्म भोगने के पश्चात ही मुक्ति प्राप्त होती है । श्री गुरु नानक देव जी उनको ज्ञान देने के पश्चात अगली यात्रा पर चले गए ।
शिक्षा : श्री गुरु नानक देव जी की सुंदर साखी से हमें यह शिक्षा है मिलती है कि संतो के दर्शन मात्र से ही हमारे कई जन्मों के कर्म खत्म हो जाते हैं । अगर हम संतों की कही हुई बातों पर चलते हैं तो हमारा जन्म मरण का चक्कर ही खत्म हो जाता है । इसलिए हमारा भी फर्ज बनता है कि संतो की कही हुई बातों पर अमल करें और अपनी जिम्मेदारियों के साथ साथ भजन सिमरन करें और इस नश्वर दुनिया से मुक्ति प्राप्त करें ।
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