परमात्मा कहां है
हम सभी के मन में यह प्रश्न हमेशा ही आता है क्या परमात्मा है और अगर परमात्मा है तो कौन है और किस तरह से उसको मिला जा सकता है । क्या परमात्मा ने अपने बारे में कभी किसी को बताया है । बहुत से लोग यह कहते हैं कि हम कई सालों से सत्संग में जा रहे हैं और बहुत से लोग भक्ति और आराधना भी करते हैं लेकिन जिस तरह से वह तरक्की करना चाहते हैं वह नहीं हो रही है । इस बात का सबसे बड़ा कारण क्या है । इन सभी बातों का उत्तर आज हम इस पोस्ट से जानेंगे ।
आत्मा क्या है और परमात्मा क्या है ?
आज हम पहले यह बात करेंगे कि आत्मा क्या है और परमात्मा क्या है । आत्मा और परमात्मा दोनों को हम देख नहीं सकते । परमात्मा सिर्फ एक है लेकिन हम लोग एक ही परमात्मा को अनेक नामों से पुकारते हैं। जिस प्रकार दुनिया में अनगिनत प्राणी है उसी तरह से आत्माएं अनंत है । न्याय दर्शन के अनुसार इन सभी प्राणियों में छे गुण विद्यमान होते हैं । उसमें आत्मा होती है, ज्ञान और कोशिश आत्मा के स्वाभाविक गुण होते हैं । इसके अलावा अन्य चारों गुण शरीर के हिसाब से आते हैं ।
परमात्मा कहां है
आत्मा के कारण ही हमारा यह शरीर प्रकाशित है । अगर आत्मा नहीं होती तो यह शरीर बेजान और अपवित्र होता । उसी प्रकार यह दुनिया भी परमात्मा की उपस्थिति की वजह से प्रकाशमान है । वैदिक युग के महान ऋषियों ने कहा है कि इस दुनिया में तीन चीजें बहुत ही दुर्लभ है जो इंसान को परमात्मा की कृपा से मिलती है ।
1. मनुष्य का जन्म
2. मुक्ति की अभिलाषा
3. पूर्ण सतगुरु की शरण
अब आप लोगों के अंदर यह सवाल उठ रहा होगा कि परमात्मा को कैसे पाया जा सकता है ? परमात्मा इस संसार के प्रत्येक युग में है । परमात्मा प्रारंभ से लेकर अंत तक हमारे साथ होता है । सर्वव्यापी परमात्मा हमें गलत कर्म करने से हर पल रोकते हैं लेकिन जब इंसान क्रोध, लालच और स्वार्थ के चक्कर में पड़ जाता है तो ईश्वर मन से दिखाई नहीं देता फिर उन्हें प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है ।
जब इंसान अपने भौतिक सुखों की तरफ ध्यान केंद्रित करता है जो दिव्य शक्ति उसके अंतर्मन में है उस पर आत्मा ध्यान नहीं दे पाती इसलिए वह परमात्मा को नहीं देख पाता । अर्थात अपने अंदर उठने वाली आवाज को वह अनसुना कर देता है इसी वजह से इंसान अपने अंदर आत्मा का एहसास नहीं कर पाता ।
परमात्मा कहां है
हकीकत में तो हमारे शरीर का संचालन परमात्मा की मर्जी से ही होता है । परमात्मा जन्म जन्म से हमारे साथ है । परमात्मा से हमारा संबंध कभी भी नहीं टूट सकता । परमात्मा हमें सर्वाधिक प्रेम भी करता है लेकिन सांसारिक मोह माया की वजह से हम ईश्वर से दूर होते चले जाते हैं ।
यह माया और भौतिक सुख हमारी सात्विकता को खत्म कर देते हैं जिसकी वजह से परमात्मा का एहसास हमारे अंदर होते हुए भी हम नहीं कर पाते । परमात्मा सच्चे और सरल व्यक्ति के सबसे ज्यादा करीब होता है । परमात्मा सिर्फ उनकी सहायता करते हैं जो सभी जीवो से प्रेम करते हैं ।
भोग विलास में डूबे हुए व्यक्ति लालची और अहंकारी इनमें दोष होता है जिसकी वजह से इस तरह के लोग परमात्मा का अनुभव नहीं कर पाते । यह जब तक अपनी बुराइयां नहीं छोड़ते तब तक यह परमात्मा का अनुभव नहीं कर सकते इसलिए कहते हैं सर्वव्यापी परमात्मा को हासिल करने के लिए सरल और पवित्र मन अत्यंत आवश्यक है ।
बहुत से लोग इस बात पर भी संदेह करते हैं कि क्या किसी ने परमात्मा को देखा है अगर देखा है तो वह कैसा नजर आता है । दोस्तों आपको एक बात बता दूं कि परमात्मा का कोई आकार नहीं होता लेकिन मनुष्य अपने अंदर परमात्मा को महसूस जरूर कर सकता है और उनकी शक्तियों को भी समझ सकता है ।
केवल पवित्र मन वाला व्यक्ति ही परमात्मा को पा सकता है परमात्मा को केवल वही व्यक्ति देख सकता है जिसका मन निर्मल जल की तरह साफ और स्वच्छ हो ऐसे लोगों के मन में परमात्मा की आकृति भी उभरती है और उनकी शक्तियों का एहसास भी होता है । जो परमात्मा पर विश्वास करते हैं, परमात्मा की भक्ति करते हैं । वह कभी इन बातों के चक्कर में नहीं पड़ते उन्हें तो हर समय, हर जगह परमात्मा ही नजर आते हैं ।
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