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Motivational story in hindi |
प्राचीन समय“की बात है, एक आदमी अपने परिवार के साथ गांव में रहता था । वह आदमी बहुत गरीब था वह इतना गरीब था कि अपने परिवार का पालन पोषण भी अच्छी तरह से नहीं कर सकता था । अपनी गरीबी से वह इतना परेशान था कि हमेशा अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में दिन रात सोचता रहता था । इन सब बातों की वजह से उसके मन में हमेशा उथल-पुथल मची रहती थी इसी के चलते उसने घर से भाग जाने का फैसला कर लिया और एक रात वह अपना घर छोड़कर चला गया ।
Motivational story in hindi
वह आदमी बिना कुछ सोचे समझे अनजान दिशा की तरफ चला जा रहा था । जब वह आदमी चलता हुआ एक नदी के पास पहुंचा तो उसने देखा वहां गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ वहां बैठे प्रवचन कर रहे है । गौतम बुद्ध को देखकर उसने सोचा कि मैं भी सन्यास ले लेता हूं और गौतम बुद्ध और उनके शिष्यों के साथ ही आश्रम में रहूंगा । यह निर्णय ले कर वह गौतम बुद्ध के डेरे में जाकर उनके कदमों पर गिर गया और उनसे प्रार्थना करने लगा कि वह उसको अपना शिष्य बनाकर अपने साथ ही रख ले ।
महात्मा बुद्ध ने उस गरीब इंसान पर कृपा करके उसे अपना शिष्य बना लिया । उसके बाद जब बुद्ध अपने शिष्यों के साथ आगे बढ़े तो वह भी उनके साथ ही चल दिया । गर्मी का समय था गौतम बुद्ध का काफिला चला जा रहा था जब वह जंगल में पहुंचे तो एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुक गए । गर्मी की वजह से गौतम बुद्ध को काफी प्यास लग रही थी उन्होंने अपने नए शिष्य से कहा कि पास में एक नदी बह रही है तुम वहां जाकर पानी ले आओ । गौतम बुद्ध के आदेश पर वह आदमी पानी लेने के लिए चल पड़ा ।
जब वह आदमी नदी के पास पहुंचा तो उसने देखा कि नदी में बहुत सारे जानवर उधम मचा रहे हैं जिसकी वजह से पूरे पानी में कीचड़ ही कीचड़ हो गया था । उन जानवरों के उधम मचाने की वजह से नदी का सारा पानी गंदा हो गया था यह देखकर वह आदमी बिना पानी लिए ही गौतम बुद्ध के पास वापिस आ गया । वह वापस आकर गौतम बुद्ध से बोला कि उस नदी का पानी तो बहुत ही गंदा है वह तो पीने लायक ही नहीं है ।
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शिष्य की बात सुनकर महात्मा बुद्ध थोड़ी देर तक चुप रहे, फिर उसके बाद उन्होंने शिक्षा से कहा, अब जाओ उसी नदी से जाकर पानी ले आओ । गौतम बुद्ध का आदेश मानकर शिष्य पानी लेने चल तो पड़ा लेकिन मन में यही सोच रहा था कि गौतम बुद्ध इतने गंदे पानी को पिएंगे कैसे ? जब वह नदी के पास पहुंचा तो देखकर हैरान रह गया । उसने देखा कि नदी का पानी बिल्कुल साफ और निर्मल हो गया था ।
वह पानी लेकर गौतम बुद्ध के पास पहुंचा और उनसे पूछा कि थोड़ी ही देर में नदी का पानी इतना साफ और स्वच्छ कैसे हो गया ? गौतम बुद्ध ने उसको समझाते हुए कहा जब नदी में जानवर उधम मचा रहे थे तब उसका कीचड़ उबर आया था लेकिन कुछ देर शांत रहने के पश्चात कीचड़ नीचे बैठ गया था और पानी बिल्कुल साफ हो गया था । इसी प्रकार की स्थिति हमारे मन की भी होती है ।
जीवन की भागदौड़ और परेशानियां हमारे जीवन में उथल-पुथल पैदा कर देती है और उसी वजह से हम गलत निर्णय लेते हैं परंतु अगर हम कोई भी निर्णय लेने से पहले शांत मन से धीरज पूर्वक बैठकर सोचे तो हमारे मन की उथल-पुथल भी नदी के कीचड़ की तरह नीचे बैठ जाती है और तब हम जो भी निर्णय लेते हैं वह बिल्कुल सही होता है । इसलिए बुरे समय में कभी भी धीरज नहीं खोना चाहिए ।
भगवान बुद्ध का यह उपदेश उसकी समझ में आ जाता है और जब वह शांति के साथ बैठकर सोचता है तो उसे महसूस हो जाता है कि उसने घर छोड़कर बहुत ही गलत निर्णय लिया था । वह भगवान बुद्ध से आज्ञा लेकर अपने घर चला जाता है । गौतम बुद्ध अपने हर शिष्य को हमेशा यही सलाह देते हैं कि कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लेना चाहिए क्योंकि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय हमेशा गलत होता है।
शिक्षा : गौतम बुद्ध की कहानी मन का कीचड़ से हमें यही शिक्षा मिलती है कि जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयां आए हमें अपना संयम कभी नहीं खोना चाहिए बल्कि जब भी कोई परेशानी आए तो शांत चित् बैठकर उस समस्या के समाधान की तरफ जाना चाहिए क्योंकि शांति से बैठ कर लिया हुआ निर्णय हमेशा सही होता है ।
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