
गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानी
Buddhist story in hindi

एक बार गौतम बुद्ध नदी के किनारे से जा रहे थे सर्दियों का मौसम था । सभी लोग सर्दियों के मोटे मोटे ऊनी कपड़े पहनकर घूम रहे थे । बुद्ध की नजर तभी एक आदमी पर पड़ती है जो नदी में नहा रहा होता है । गौतम बुद्ध उस व्यक्ति को देखकर थोड़ा आश्चर्यचकित होते हैं क्योंकि यह व्यक्ति ठंड से कांप भी रहा था और नहा भी रहा था ।
महात्मा बुद्ध उस आदमी के पास जाते हैं और ठंड में उससे नहाने का कारण पूछते हैं । उस आदमी ने गौतम बुद्ध को बताया कि मैं सुबह-सुबह नहा कर पूजा करने के लिए जा रहा था तभी मेरा पैर एक मेंढक पर पड़ गया और मैं अपवित्र हो गया इसलिए मैं फिर से पवित्र होने के लिए नदी में डुबकी लगा रहा हूं ।
गौतम बुद्ध ने मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति से पूछा, क्या तुम मुझे बता सकते हो वह मेंढक कहां रहता है ? उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि वह मेंढक इसी नदी में रहता है ।
गौतम बुद्ध ने कहा कि जब तुम्हारे इस नदी में डुबकी लगाने से तुम पवित्र हो सकते हो तो वह मेंढक तो हमेशा से इसी नदी में रहता है । वह मेंढक तो पहले से ही पवित्र होगा फिर उसके छूने से तुम कैसे अपवित्र हो गए ? गौतम बुद्ध की बात उस व्यक्ति को समझ में आ जाती है और वह पानी से बाहर आ जाता है ।
Buddhist story in hindi
गौतम बुद्ध उस व्यक्ति को पहनने के लिए कुछ कपड़े देते हैं और फिर कहते हैं कि मनुष्य हमेशा अपने मन के कारण ही दुख पाता है । इस दुनिया में जो चीजें अपवित्र हैं उसको तो वह अपवित्र नहीं मानता लेकिन जो चीजें पवित्र है उसको वह अपवित्र मान लेता है । उस व्यक्ति ने गौतम बुद्ध से कहा कि मैं आपकी बात समझा नहीं । गौतम बुद्ध ने कहा कि जैसे नशा करना, क्रोध करना और दूसरों से घृणा करना किसी से द्वेष की भावना रखना इन सब बातों को तो वह अपवित्र नहीं मानता । लेकिन वह हमेशा यह मानता है कि जो जीव उसके जीवन पर प्रभाव नहीं डालता वह अपवित्र है ।
मनुष्य हमेशा अपने अंधविश्वासों में ही जीता है और इसी वजह से वह अपने जीवन को पूरी तरह से जी ही नहीं पाता है । उस व्यक्ति ने गौतम बुद्ध से पूछा कि सबसे बड़ा अंधविश्वास इस दुनिया में कौन सा है ? गौतम बुद्ध ने कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा अंधविश्वास यह है कि उसे हमेशा यह लगता है कि वह अपने मन के द्वारा ही अपने मन से मुक्त हो जाएगा । कहने का मतलब यह है कि वह सोचता है वह अपने मन से ही दुनिया के सभी दुखों से मुक्त हो जाएगा ।
तुम अपने चारों तरफ देखोगे तो तुम्हें यह नजर आएगा कि इस दुनिया में हर व्यक्ति अपने ही मन के जाल में उलझा हुआ है । कोई डरा हुआ है और कोई उम्मीदों में जी रहा है और किसी को यह लगता है कि आने वाले समय में सब ठीक हो जाएगा लेकिन असलियत तो यह है कि जब तक इंसान अपने मन को नहीं समझ लेता कुछ भी नहीं ठीक हो सकता और यही सच्चाई है ।
वह व्यक्ति गौतम बुद्ध से पूछता है कि अपने मन को कैसे समझ सकते हैं ? बुध ने जवाब दिया जाग्रता के द्वारा अपने मन को समझा जा सकता है । पूरे दिन में जब भी तुम्हें ध्यान आए जागृत होकर देखो तुम्हारा मन तुमसे क्या करवा रहा है । तुम्हारा मन बार-बार तुम्हें बुलाने का प्रयास करेगा लेकिन तुम बार-बार जागृत होकर प्रयास करते रहना । तुम्हें बार-बार दिन में यह देखना है के क्या तुम उसी रास्ते पर जा रहे हो जो तुम्हें वहां ले जाएगा जहां तुम जाना चाहते हो । यही सबसे बड़ा सूत्र है अपने मन को समझने का जिससे तुम अपने मन को अच्छी तरह से समझ सकते हो ।
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