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Buddhist stories in hindi |
Meditation kaise karte hai
प्राचीन समय की बात है एक राजा ने अपने महल में बौद्ध भिक्षु को बुलाया । राजा ने भिक्षु से पूछा कि अगर मैं आपसे कुछ मांगू तो क्या आप मुझे दे दोगे ? बौद्ध भिक्षु ने कहा कि महाराज आपको क्या चाहिए ? राजा ने बौद्ध भिक्षु से कहा क्या आप मुझे अपना भिक्षा मांगने वाला पात्र दे सकते हैं । बौद्ध भिक्षु ने बिना कुछ कहे खुशी खुशी राजा को अपना भिक्षा मांगने वाला पात्र दे दिया । अब उस बौद्ध भिक्षु के पास पहने हुए कपड़ों के अलावा और कुछ भी नहीं था ।
राजा ने बौद्ध भिक्षु की दरियादिली से खुश होकर उसे एक बड़ा सोने का कटोरा दे दिया जो हीरे मोतियों से जड़ित था । बौद्ध भिक्षु ने कटोरा हाथ में लिया और जंगल में अपनी कुटिया की तरफ चल दिया । वह जिस रास्ते से जा रहे थे वहां पर उनको एक चोर ने देखा । चोर ने देखा कि बौद्ध भिक्षु के हाथ में एक सोने का कटोरा है । चोर उस सोने के कटोरे के लालच में बौद्ध भिक्षु के पीछे पीछे चल दिया । बौद्ध भिक्षु को पता चल गया था कि एक चोर कटोरे के लालच में उनके पीछे-पीछे आ रहा है । बौद्ध भिक्षु ने सोचा कि इस सोने के कटोरे की वजह से मेरी मानसिक शांति भंग हो सकती है । उसने सोचा कि चोर इस कटोरे को हासिल करने के लिए बहुत परेशान करेगा क्यों ना मैं खुद ही सोने के कटोरे को चोर को दे दु ।
Meditation kaise karte hai
यह बात सोच कर बौद्ध भिक्षु जब अपनी कुटिया के पास पहुंचे तो उन्होंने खुद ही सोने के कटोरे को बाहर गिरा दिया और खुद कुटिया के अंदर चले गए । चोर उनकी इस हरकत को पेड़ के पीछे खड़ा छुप कर देख रहा था । चोर ने जब देखा कि बौद्ध भिक्षु खुद ही सोने का कटोरा बाहर फेंक कर अंदर चला गया है तो उसने सोचा के जरूर भिक्षु ने कुटिया के अंदर कीमती और बहुमूल्य सामान छुपा कर रखा है इसलिए इसको वह बाहर ही फेक कर अंदर चला गया । यह सोच कर चोर खुद भी कुटिया के अंदर चला गया ।
चोर कुटिया के अंदर गया तो उसने देखा बौद्ध भिक्षु ध्यान मे लीन थे । चोर कुटिया के अंदर चारों तरफ देखता है तो उसे कुटिया में कोई भी कीमती चीज या खजाना नजर नहीं आया । चोर हैरानी से बौद्ध भिक्षु के चेहरे की तरफ देखता है और सोचता है कि इस भिक्षु के पास कुछ भी नहीं है फिर भी इसने सोने का कटोरा बाहर क्यों फेंक दिया । फिर चोर के दिमाग में आता है कि इस भिक्षु के पास कुछ हो या ना हो मुझे इस से क्या लेना देना ।
यह सोचकर चोर कुटिया से बाहर आता है और सोने के कटोरे को उठाकर जाने लगता है तभी उसके अंदर से प्रश्न उठता है कि आखिर उस भिक्षु के पास ऐसा क्या है जो उसने सोने के कटोरे की भी परवाह भी नहीं की । उसके अंदर इस प्रश्न को जानने की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी इसलिए वह दोबारा कुटिया के अंदर जाता है और उस भिक्षु के सामने जाकर बैठ जाता है । वह बौद्ध भिक्षु की आंख खुलने के इंतजार करने लगता है ।
कुछ समय के पश्चात जब बौद्ध भिक्षु अपनी आंखें खोलते हैं तो सामने उन्हें वही चोर बैठा दिखाई देता है जो उनका पीछा कर रहा था । बौद्ध भिक्षु मुस्कुराते हुए उसके चेहरे की तरफ देखते हैं और पूछते हैं कि तुम आ गए । चोर ने कहा महाराज मैं आपका काफी देर से पीछा कर रहा था । मैं आपसे सिर्फ यह जानने के लिए बैठा हूं के अपने सोने के कटोरे को बाहर क्यों फेंक दिया । आपके पास ऐसा क्या है जो हीरे मोतियों से जड़ीत सोने के कटोरे से भी ज्यादा कीमती है ?
चोर की बात सुनकर बौद्ध भिक्षु मुस्कुराते हुए बोले मेरे दोस्त मेरे पास एक ऐसा खजाना है जिसे तुम देख नहीं सकते । चोर ने जिज्ञासा भरी नजर से बौद्ध भिक्षु को देखा और पूछा ऐसा कौनसा खजाना है ?
बौद्ध भिक्षु ने जवाब दिया मेरे पास उस ईश्वर के ध्यान का खजाना है जिसके सामने दुनिया की सारी दौलत मिट्टी है । बौद्ध भिक्षु की बात सुनकर चोर उनके पैर पकड़ कर क्षमा मांगने लगता है । चोरों ने कहा मैं एक लुटेरा हूं और आपको लूटने के उद्देश्य से ही आया था लेकिन आप तो एक महान संत निकले । आपसे मुझे इस दुनिया की कोई भी धन दौलत नहीं चाहिए । क्या आप मुझे ईश्वर के ध्यान के बारे में कुछ बता सकते हैं ताकि मैं भी आपकी तरह शांति प्राप्त कर सकूं ?
बौद्ध भिक्षु बोले क्यों नहीं, अगर तुम चाहो तो तुम भी मेरी तरह ध्यान के माध्यम से सुकून संतुष्टि और शांति रूपी खजाने को प्राप्त कर सकते हो इसके लिए तुम्हें ध्यान लगाना सीखना होगा । ध्यान में बहुत ताकत होती है । ध्यान ऊर्जा को स्थानांतरित करके मन को शांत और स्थिर करता है । ध्यान विचारों को खत्म करके लालसा को खत्म करता है जब अंदर लालसा नहीं रहती तो मन में बेवजह के विचार खत्म हो जाते हैं । मन को परम आनंद और शांति प्राप्त होती है और मन अद्भुत सुकून का अहसास कर जीवन का आनंद लेता है ।
Meditation kaise karte hai
ध्यान करने के लिए तुम्हें एक शांत और साफ जगह का चुनाव करना होगा फिर वहां चटाई बिछाकर चौकड़ी मारकर बैठ जाना है । तुम्हें अपनी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रखनी होगी । आंखें बंद करनी हैं और गहरी सांस लेनी है । तुम्हें अपनी दोनों हथेलियों घुटनों के ऊपर की तरफ रखनी है इसे ध्यान मुद्रा कहते हैं । तुम्हें अपना सारा ध्यान अपनी सांसो की तरफ केंद्रित करना है । तुम्हारी सांसे जितनी ज्यादा छोटी और गहरी होती जाएगी तुम उतना ही ध्यान की गहराई में उतरते जाओगे ।
तुम्हें अपनी हर आने जाने वाली सांस पर ध्यान केंद्रित करना होगा । अगर तुम्हारे मन में फिर भी विचार आ रहे हो तो इसका मतलब यह है कि तुम सांसो की तरफ ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हो । ध्यान में ऐसा समय आएगा जब धीरे-धीरे तुम्हारे मन में विचार खत्म हो जाएंगे तो तुम अपने आप को काफी हल्का महसूस करने लगोगे । यह ध्यान की वह अवस्था है जब तुम्हें परम शांति और आनंद की अनुभूति होने लगेगी । यह ध्यान की परम अवस्था है । ध्यान की यह अवस्था तुम्हें एक या दो दिन में नहीं प्राप्त होगी बल्कि इसका अभ्यास तुम्हें रोज करना होगा । चोर ने अब चोरी डकैती छोड़कर रोज ध्यान लगाना शुरू कर दिया और चोर को कुछ ही दिनों में अपने आप में काफी फर्क नजर आया । उसे अपने अंदर सकारात्मक उर्जा का एहसास होने लगा । चोर का जीवन पूरी तरह से बदल गया था ।
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