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Meditation kaise kare |
गहरे ध्यान के अनुभव
एक महात्मा जंगल के वृक्ष के नीचे ध्यान किया करते थे । वह एक लकड़हारे को रोज लकड़ियां काट कर ले जाते देखते थे । एक दिन उन्होंने लकड़हारे को रोककर कहां के तुम दिन भर लकड़ी काटते हो लेकिन फिर भी दो जून की रोटी भी नहीं जुटा पाते । तुम आगे क्यों नहीं जाते वहां आगे चंदन के पेड़ों का जंगल है । एक दिन चंदन की लकड़ी काटोगे तो बहुत दिनों की खाने की समस्या का हल हो जाएगा ।
लकड़हारे को महात्मा की बात पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उसकी सोच यह थी कि जितना वह जंगल के बारे में जानता है उतना कोई भी नहीं जानता । जंगल में लकड़ियां काटते काटते ही तो उसकी उम्र बीती है । यह महात्मा तो इस पेड़ के नीचे बैठा रहता है इसको क्या पता के आगे जंगल में क्या है ?
लकड़हारे का मन तो नहीं था उसकी बात मानने का लेकिन फिर उसके दिमाग में आया के इस बात का नुकसान भी क्या है । क्या पता इसकी बात ठीक ही हो, यह मुझसे झूठ बोलेगा भी क्यों, संत आदमी है आज से पहले इसने मुझे कभी बोला भी नहीं है क्यों ना इसकी बात मान कर देख ली जाए । महात्मा की बात मानकर वह आगे गया तो उसे सचमुच चंदन के पेड़ों का जंगल नजर आया । उसने चंदन की बहुत सारी लकड़ियां काटकर एक गट्ठर बना लिया और वापिस चल पड़ा ।
रास्ते में वह साधु के पास रुका और अपना माथा साधु के कदमों में झुका दिया और बोला मुझे माफ कर दीजिए मेरे मन में बहुत शंका थी क्योंकि मेरे दिमाग में यह था कि मुझसे ज्यादा इस जंगल के बारे में कोई नहीं जानता क्योंकि मैं खानदानी लकड़हारा हूं मेरे बाप दादा भी लकड़ियां काटते थे । हम लोगों ने कभी यह नहीं सोचा कि इसके आगे भी शायद कुछ हो सकता है । मैं भी कितना बदनसीब हूं अगर मुझे पहले पता चल जाता तो मुझे अपने आधी जिंदगी गरीबी में ना गुजारनी पड़ती ।
गहरे ध्यान के अनुभव
महात्मा ने कहा, चिंता मत करो जब जागो तभी सवेरा अब जाओ और जाकर चंदन की लकड़ियां काटो ।
अब लकड़हारे की जिंदगी बड़े आराम से कटने लगी एक दिन लकड़ियां काट लेता तो उसे बहुत दिनों का जंगल में आने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि बाजार में चंदन की लकड़ियों की अच्छी कीमत मिल जाती ऐसे ही उसके दिन आराम से गुजरने लगे ।
एक दिन जब वह लक्कड़हारा लकड़ियां काटने जा रहा था तो उस महात्मा ने उसे अपने पास बुला कर कहा, तुम अभी तक चंदन की लकड़ियां ही काट रहे हो इससे आगे नहीं गए अभी क्या ? तुम्हारे मन में कभी यह सवाल नहीं उठा की इस चंदन के आगे भी कुछ हो सकता है ?
लकड़हारे ने कहा, मुझे तो यह समझ में नहीं आया और ना ही मेरे दिमाग में यह ख्याल आया कि चंदन के आगे भी कुछ हो सकता है । महात्मा ने कहा, चंदन के पेड़ों के जंगल से आगे जाओगे तो वहां चांदी की खदानें है । लकड़ियां काटना छोड़ दो । एक दिन वहां जाओगे तो बहुत दिनों तक कुछ भी नहीं करना पड़ेगा । लकड़हारा अब महात्मा की बातों पर विश्वास करने लगा था इसलिए वह महात्मा की बात सुनकर भागा तो उसने देखा आगे सचमुच चांदी की खदानें थी ।
वह लकड़हारा चांदी की खदानें देखकर खुशी से नाचने लगा । अब वह लकड़हारा बहुत समय बाद जंगल में आता और चांदी ले जाता । उसको महीनों तक जंगल में आने की जरूरत नहीं पड़ती । ऐसे ही लकड़हारे को बहुत साल गुजर गए । एक दिन जब वह जंगल से चांदी लेने जा रहा था तो उसे वह महात्मा उसी पेड़ के नीचे बैठा नजर आया ।
महात्मा ने लकड़हारे से कहा, अभी तक तुम चांदी में ही अटके हो, थोड़ा और आगे जाओ तो तुम्हें सोने की खदानें मिलेगी । लकड़हारे महात्मा की बात मानकर थोड़ा आगे गया तो उसे सचमुच सोने की खदानें नजर आई । वहां इतना सोना था कि उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती ।
सोने की खदानों का पता चल जाने के बाद अब वह लकड़हारा एक बार सोना ले जाता और साल भर तक जंगल नहीं आता । उसकी जिंदगी अब मजे से गुजर रही थी । बहुत सालों बाद वह लकड़हारा एक दिन जंगल में सोना लेने जा रहा था तो उसे फिर वह महात्मा मिला जो एक पेड़ के नीचे बैठा ध्यान कर रहा था ।
जब उस महात्मा ने लकड़हारे को सोना लेने के लिए जंगल की तरफ जाते देखा तो उसे कहा, क्या तुम कभी जागोगे ही नहीं, क्या हर बार मुझे ही तुम्हें जगाना पड़ेगा । क्या तुम्हारे दिल में कभी यह सवाल नहीं होता, यह जिज्ञासा नहीं होती के आगे जाकर देख लू के आगे क्या है ?
लकड़हारे ने महात्मा की बात सुनकर कहा कि मैं भी कम बुद्धि का हूं । मेरे दिल में कभी यह सवाल ही नहीं आया के सोने से बड़ा भी कुछ हो सकता है । मैं तो यही सोचता था कि दुनिया की यही आखरी कीमती चीज है । महात्मा ने कहा, नादान इंसान सोने की खानों से आगे जाओ वहां तुम्हें हीरे की खदानें मिलेंगी ।
जब वह लकड़हारा आगे जाकर देखता है तो आगे सचमुच हीरे की खदानें“ थी । अब वह लकड़हारा एक बार हीरे ले जाता और सालों तक जंगल में नहीं आता। वक्त बीतने के साथ वह लकड़हारा बूढ़ा हो गया’। एक दिन वह हीरे लेकर वापस आ रहा था तो उसे वही महात्मा पेड़ के नीचे बैठा नजर आया ।
महात्मा ने कहा, अरे नासमझ इंसान अब तुम हीरो में ही रुक गए हो । इतना पैसा आने के बाद वह लकड़हारा घमंडी भी हो गया था बड़े-बड़े महल भी खड़े कर लिए थे बहुत अमीर भी हो गया था । उसने महात्मा से कहा, अब छोड़ो तुम मुझे और परेशान मत करो, अब हीरे के आगे और क्या हो सकता है ? उस महात्मा ने कहा उन हीरो के आगे मैं हूं ।
क्या तुम्हारे दिल में कभी यह ख्याल नहीं आया कि यह आदमी यहां बैठा रहता है जिसे यह पता है कि सोने और हीरे की खदानें कहां है लेकिन फिर भी वह इन चीजों को नहीं भर रहा । इसको सोने और हीरों से भी कीमती बहुमूल्य मिल गया होगा तभी यह निश्चिंत होकर यहां बैठा है । क्या तुम्हारे दिल में कभी यह ख्याल नहीं आया ?
उस महात्मा की बात सुनकर वह लकड़हारा रोने लगता है और महात्मा के पैर पकड़ लेता है और कहता है मैं भी कितना नादान हूं जो यह देख ही नहीं पाया कि जिसने यह सब सोने और हीरे छोड़ दिए उसके पास इन हीरे जवाहरात से भी बड़ा धन होगा, मेरे अंदर कभी यह ख्याल ही नहीं आया । मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि आपके पास वह कौन सा धन है जिसके सामने सारी दुनिया की दौलत मिट्टी है ।
लकड़हारे की बात सुनकर महात्मा ने कहा कि वही तो मैं तुम्हें बताना चाहता हूं । उस धन का नाम है परमात्मा का ध्यान, लकड़हारे ने कहा कि मुझे तो ध्यान करना आता ही नहीं ? महात्मा ने कहा कि ध्यान करना बहुत आसान है । बाहर की दौलत तो बहुत इकट्ठे कर ली अब जरा भीतर की तरफ मुड़ जाओ ।
गहरे ध्यान के अनुभव
ध्यान करने के लिए आराम से बैठ जाओ और देखो अंदर क्या चल रहा है । अगर कुछ अनुभव हो तो उसे पकड़े मत रहो बस एकटक देखते रहो, हो सकता है तुम्हें परमात्मा मिले, लेकिन तुम्हें उन्हें भी नहीं पकड़ना । तुम तब तक अंदर देखते रहो जब तक की सभी अनुभव और सभी विचार समाप्त ना हो जाए, लेकिन ध्यान रहे जबरदस्ती किसी भी अनुभव या विचार को खत्म करने का प्रयास कभी ना करना ।
जब तुम्हारे अंदर कोई अनुभव ना रहेगा, कोई विचार ना रहेगा तब तुम एकदम समाधि में पहुंच जाओगे तब तुम एकदम शुन्य में पहुंच जाओगे और शून्य में ही जलता है आतम ज्ञान का दीया । ध्यान करने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण एक चीज है और वह है धैर्य, आपके अंदर इतना धैर्य होना चाहिए कि घटना चाहे आज घटे या बरसों बाद आप को हमेशा ध्यान करते रहना चाहिए ।
शिक्षा : अध्यात्मिक साखी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें दुनिया की दौलत के पीछे नहीं भागना चाहिए हमें वह दौलत हासिल करनी चाहिए जो हमें आंतरिक शांति दे और हमारे मरने के बाद भी काम आए ।
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