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Buddha story in hindi |
जीवन में दुख का कारण
एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ जंगल से गुजर रहे थे, बहुत देर जंगल में चलने के बाद बुद्ध और उनके सभी शिष्य एक विशाल पेड़ के नीचे आराम करने के लिए बैठ गए। उस पेड़ के नीचे एक अलग से शांति थी और सभी शांति को अनुभव कर रहे थे । कुछ देर बैठने के पश्चात गौतम बुद्ध का एक शिष्य उठा और महात्मा बुद्ध से बोला कि मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं ?
महात्मा बुद्ध ने कहा, पूछो क्या प्रश्न पूछना चाहते हो, वह शिक्षा महात्मा बुद्ध से कहता है । बुद्ध में आपके साथ बहुत समय से हूं लेकिन मैंने आपको कभी दुखी नहीं देखा है । आपके चेहरे पर हमेशा एक लुभावनी मुस्कुराहट रहती है और हमें आपकी मुस्कुराहट हमें भीतर तक आनंद से भर देती है । आपके चेहरे पर एक अनोखी चमक है जो हमें कभी दुखी नहीं होने देती है, पर मैं आपसे यह जानना चाहता हूं की मेरे भिक्षुक बनने से पहले मेरे जीवन में बहुत समस्याएं थी और मैं हमेशा दुखी रहता था जिसकी वजह से मैं भिक्षुक बना था। लेकिन मैं अभी तक नहीं जान पाया हूं कि दुख क्या है ? क्या आप मुझे बता सकते हैं कि असल में दुख क्या है ?
महात्मा बुद्ध मंद मंद मुस्कुराते हैं और अपने भिक्षुक से कहते हैं, दुख एक विचार से ज्यादा कुछ नहीं है । सभी शिष्य यह बात सुनकर हैरान रह गए और महात्मा बुद्ध से पूछते हैं कि बुद्ध विचार तो आते हैं और चले जाते हैं लेकिन दुख एक बार आ जाता है तो जाने का नाम ही नहीं लेता है । महात्मा बुद्ध कहते हैं, मैं तुमको एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं जिससे तुम्हारी समझ में आ जाएगा दुख क्या है ।
जीवन में दुख का कारण
एक शहर में एक धनवान व्यक्ति रहता था उसका एक वफादार और इमानदार नौकर था । वह सेठ अपने नौकर पर बहुत विश्वास करता था । वह सेठ कभी भी अपने नौकर को किसी भी बात पर नहीं डांटता था क्योंकि उसका नौकर असल में बहुत ही ईमानदार था । एक बार सेठ को किसी काम के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा । कुछ दिनों के पश्चात जब सेठ वापस लौटा तो अपने साथ कुछ कीमती सामान लेकर आया और उसने कीमती सामान को अपने कमरे में सजा कर रख दिया और अपने नौकर से कहा की तुम्हें खासतौर पर इस समान का ध्यान रखना है । लेकिन ध्यान रखना की यह सामान टूटे ना क्योंकि यह मुझे बहुत प्यारा है ।
नौकर ने मालिक से कहा कि आप चिंता मत करो मैं इस सामान का अच्छी तरह से ध्यान रखूंगा । अगले दिन नौकर घर की सफाई कर रहा था कि अचानक उसके हाथ से वह कीमती सामान फिसल कर नीचे गिर गया और टूट गया । सेठ को जब यह बात पता चली तो वह नौकर के पास गया और उसे खूब फटकार लगाई, पर ना तो वह उस नौकर को नौकरी से निकाल सकता था और ना ही उसको मार पीट सकता था क्योंकि वह उसका बहुत ही ईमानदार और पुराना नौकर था इसलिए सेठ ने नौकर को डांट फटकार लगाकर ही छोड़ दिया ।
सेठ अपने कीमती सामान के बारे में सोच सोच कर बहुत दुखी हो गया । रात होते ही सेठ अपने कमरे में सोने के लिए लेट गया लेकिन बेचैनी के कारण सेठ को नींद नहीं आ रही थी । सेठ बेचैनी की वजह से कमरे से बाहर निकल आया । बाहर आकर सेठ ने देखा कि उसका नौकर बहुत मजे से खर्राटे लेकर सो रहा था । सेठ यह देख कर गुस्से से आगबबूला हो गया । सेठ सोचता है कि इसने मेरी इतनी कीमती चीज तोड़ दी और इसे बिल्कुल भी चिंता नहीं है । मुझे यहां नींद भी नहीं आ रही और यह मजे से सो रहा है । यह सोचता सोचता सेठ अपने कमरे में वापस आकर लेट गया ।
जीवन में दुख का कारण
अगले दिन सेठ सोचता है कि मैं इस दुख और बेचैनी से कैसे बाहर निकल सकता हूं फिर उसके दिमाग में एक उपाय आता है और वह अपने नौकर के पास जाता है और अपने नौकर से कहता है मुझे बहुत दुख हो रहा है यह बताते हुए कि वह जो कीमती चीज कल तुमने तोड़ी थी वह मैं तुम्हारे लिए लाया था । मैं चाहता था कि किसी खास मौके पर वह चीज तुम्हें उपहार में दु, लेकिन अब क्या कर सकते हैं । अब तो वह चीज टूट गई है ।
सेठ की बात सुनकर नौकर को झटका लगा । नौकर सोचता है कि मुझसे बड़ी गलती हो गई है इतनी कीमती चीज मेरे लिए थी और वह मुझसे ही टूट गई । यह बात सोचते सोचते नौकर के दिमाग में दुख और बेचैनी पैदा हो गई । रात होते ही सेठ आराम से सोता है और वहां नौकर बेचैन रहता है और बेचैनी की वजह से उसे नींद नहीं आती क्योंकि नौकर ने अब सेठ की कीमती चीज को अपने आप से जोड़ लिया है इसलिए वह दुखी हो रहा था । पहले उस नौकर के दिमाग में यह विचार नहीं था कि वह कीमती चीज उसकी है लेकिन अब उसके मन में यह विचार है की अगर वह कीमती चीज ना टूटती तो उसकी होती ।
महात्मा बुद्ध कहते हैं कि दुख केवल एक विचार है और यह विचार कैसे पैदा होता है । जब हम किसी चीज को अपने साथ जोड़ लेते हैं । हम जिस भी वस्तु को अपने साथ जोड़ लेते हैं, वह वस्तु हमारे दुख का कारण बनती है लेकिन असलियत यह है कि कोई भी वस्तु हमसे जुड़ नहीं सकती । हर चीज आपके पास है लेकिन सिर्फ कुछ समय के लिए, कुछ समय के बाद वह चीज आपसे दूर हो जाएगी । हमें उस होने की घटना को स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए ।
शिक्षा : हमें इस सुंदर कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हम जिस जीवन या जिन चीजों को अपना समझते हैं वह केवल कुछ समय के लिए ही हमारी हो सकती हैं । हमें कभी भी इन चीजों को अपना समझ कर इस्तेमाल करना नहीं चाहिए । हमें यह सोचकर इस्तेमाल करना चाहिए कि परमात्मा ने यह हमें कुछ समय के लिए ही दिए है अगर हम यह सोचकर जीवन में चलेंगे तो कभी भी दुखी या परेशान नहीं होंगे ।
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