ईश्वर की प्राप्ति का उपाय-How to attain god - spiritualstories

ईश्वर की प्राप्ति का उपाय-How to attain god

 

ईश्वर की प्राप्ति का उपाय
ईश्वर प्राप्ति का मंत्र

ईश्वर की प्राप्ति का उपाय

बहुत पुरानी बात है जब ईश्वर के बारे में लोग तरह तरह की बातें करते थे, ईश्वर की महिमा के बारे में और ईश्वर के सर्वशक्तिमान होने के बारे में सुनकर एक जिज्ञासु दिल में यह ख्याल आया कि ईश्वर से मिलना चाहिए  । ईश्वर को खोजने के लिए वह जिज्ञासु जगह-जगह भटकने लग गया  । एक दिन वह जिज्ञासु ईश्वर की तलाश में एक मंदिर में गया  । मंदिर में जाकर उसने पुजारी से कहा कि पुजारी जी मैं ईश्वर के दर्शन करना चाहता हूं  । पुजारी ने उसकी तरफ देखा और कहा कि आओ यहां सभी ईश्वर के दर्शन करने के लिए ही तो आते हैं  ।

जिज्ञासु ने कहा, पुजारी जी मैं साक्षात ईश्वर के दर्शन करना चाहता हूं ? पुजारी ने कहा कि उसके लिए तो तुम्हें किसी साधु महात्मा के पास जाना पड़ेगा, वही तुम्हें ईश्वर के साक्षात दर्शन करवा सकता है  । जिज्ञासु ने पूछा कि पुजारी जी कृपया आप मुझे बताएं के ऐसा साधु महात्मा कहां मिलेगा जो मेरी यह इच्छा पूरी कर सकता है ? पुजारी ने जिज्ञासु से कहा कि यहां से कुछ दूरी पर एक पहाड़ी है जहां पर एक ज्ञानी साधु रहता है  । तुम उनके पास जाओ वह तुम्हें ईश्वर की प्राप्ति का उपाय बता सकता है  ।

 ईश्वर की प्राप्ति का उपाय

जिज्ञासु ने पुजारी से कहा कि वह साधु कुछ दान दक्षिणा लेता है क्या ? पुजारी ने कहा कि नहीं वह साधु किसी से कुछ भी नहीं लेता  । जिज्ञासु ने देखा कि समय काफी हो गया था और  सूरज भी ढल चुका था अब साधु से मिलने कल को जाऊंगा । यह बात सोचकर वह जिज्ञासु अपने घर चला गया  ।

अगले दिन सुबह ही वह जिज्ञासु साधु से मिलने पहाड़ी की तरफ चल दिया  । चलते चलते वह जिज्ञासु थक गया उसने देखा पहाड़ी के पास ही एक नदी बह रही है  । वह वहां पर थोड़ी देर आराम करने के लिए रुका और साधु से मिलने चल दिया  । पहाड़ी पर चढ़ते चढ़ते दोपहर का समय हो गया था  । दोपहर का समय होने के कारण खिली हुई धूप की वजह से पहाड़ी काफी मनमोहक और सुंदर नजर आ रही थी  ।

उसने पहाड़ी के ऊपर की तरफ देखा तो उसे एक झोपड़ी नजर आई, जिसके बाहर एक साधु महाराज  बैठे हुए भोजन कर रहे थे  । उस जिज्ञासु ने साधु को देखकर नमस्कार किया और उनसे पूछा, क्या आप ही वह महान साधु है जिसके बारे में लोग बताते हैं ? साधु महाराज ने उसकी बात सुनकर कहा, आपको क्या चाहिए ?

 ईश्वर की प्राप्ति का उपाय

जिज्ञासु ने कहा कि महाराज क्या आप मुझे ईश्वर प्राप्ति का उपाय बता सकते हैं ? साधु महाराज उसकी बात सुनकर मुस्कुराए और चल दिए, जिज्ञासु भी उनके पीछे-पीछे चलने लगा  । जिज्ञासु ने थोड़ी देर चलने के बाद फिर साधु से पूछा कि महाराज कृपया बताइए आप ही वही साधु है जिनकी तलाश में मैं यहां आया हूं ?

महात्मा ने उसकी बात सुनकर कहां, हां मैं ही वही साधु हूं जिसकी तलाश में तुम यहां आए हो  । जिज्ञासु ने कहा, आप मुझे ईश्वर की प्राप्ति का उपाय बता सकते हैं ? महात्मा ने पूछा कि तुम ईश्वर की प्राप्ति का उपाय क्यों जानना चाहते हो ? जिज्ञासु थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला बस ऐसे ही जानना चाहता हूं  । महात्मा ने उसकी बात सुनकर कहा ठीक है, तुम कल आना  । इसी तरह जिज्ञासु रोज साधु से पूछा कि ईश्वर की प्राप्ति का उपाय क्या है लेकिन साधु उसे रोज अगले दिन आने के लिए कह देता  । इसी तरह से चार दिन बीत गए, पांचवे दिन जिज्ञासु के सब्र का बांध टूट गया और उसने साधु से कहा कि अगर आप ईश्वर प्राप्ति का उपाय नहीं बताना चाहते तो मुझे मना कर दीजिए  । मैं रोज-रोज यहां आ कर थक गया हूं  ।

महात्मा ने कहा कि चलो ईश्वर से मिलने से पहले स्नान कर ले, यह कहकर साधु महाराज उसे नदी के किनारे ले गए  । साधु महाराज ने जिज्ञासु से पूछा कि क्या तुम तैरना जानते हो ? जिज्ञासु ने जवाब दिया कि नहीं महाराज मैं तैरना नहीं जानता क्योंकि मुझे पानी से बहुत डर लगता है  । जिज्ञासु की बात सुनकर साधु महाराज ने चलो, साधु ने जब यह बात सुनी तो उसे पानी में धक्का दे दिया, पानी में गिरते ही जिज्ञासु जोर जोर से चिल्लाने लगा और इधर-उधर हाथ पैर मारने लगा  । थोड़ी देर के पश्चात साधु ने उसको बाहर निकाला और पूछा जब तुम पानी में डूब रहे थे  । उस समय तुम्हें चाहत किस चीज की थी ? जिज्ञासु ने कहा कि उस समय तो मेरा पूरा ध्यान अपने एक एक श्वास पर था के कौन सा अंतिम होगा।

महात्मा ने उसकी बात सुनकर कहा कि क्या इसी तरह की चाहत तुम्हारी ईश्वर के लिए भी है जिस दिन तुम अपनी सांसो की तरह ईश्वर की कीमत समझ जाओगे उस दिन तुम्हें ईश्वर मिल जाएंगे  ।

दोस्तों हम सब लोगों की यही हालत है  । हमारा ईश्वर के प्रति प्रेम केवल शब्दों तक ही सीमित है  । इसलिए हमें ईश्वर नहीं मिलते  । अगर आप सच में ईश्वर से मिलना चाहते हैं तो ईश्वर के लिए अपने दिल के अंदर चाहत लाइए  । सिर्फ पूजा पाठ करने से ईश्वर नहीं मिलते  । अगर ईश्वर से मिलना चाहते हैं तो अपने दिल के अंदर में बिठाना पड़ेगा, हर समय उसकी याद में रहना पड़ेगा  ।

ईश्वर हमसे कहीं दूर नहीं है, दूरी तो केवल दिलों की है  । हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि अगर हम ईश्वर को दिल से चाहेंगे तो यकीनन ईश्वर हमें अपने अंदर ही नजर आएगा  ।

शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हमें परमात्मा को पाना है तो हर समय हर पल उसको अपनी याद में रखना होगा  । अगर हम यह करने में कामयाब हो गए तो ईश्वर हमें अपने अंदर ही नजर आएगा और यकीन मानिए आप ईश्वर से बात भी कर सकेंगे  ।

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