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Sakhi shri guru nanak dev ji- गुरु नानक देव जी ने कोढ़ी को कैसे ठीक किया

गुरु नानक देव जी ने कोढ़ी को कैसे ठीक किया
गुरु नानक जी की साखियां

गुरु नानक देव जी ने कोढ़ी को कैसे ठीक किया

एक बार श्री गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना लोगों का उद्धार करते करते जिला मिंट गुमरी नाम के गांव पहुंच गए, जब शाम का वक्त हुआ तो बारिश शुरू हो गई तो भाई मरदाना जी ने श्री गुरु नानक देव जी से  कहां कि गुरुजी बारिश शुरू हो गई है और रात भी होने वाली है ।अगर आपका हुक्म हो तो मैं गांव में जाकर किसी के घर में रात काटने का इंतजाम करूं, गुरु जी की आज्ञा लेकर भाई मरदाना जी गांव में जाकर लोगों के द्वार खटखटाने लगे लेकिन भाई मरदाना जी को हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी ।

भाई मरदाना जी अगर किसी हिंदू के घर में जाते तो वह कहता कि आप दोनों में से एक हिंदू है और एक मुसलमान है इसलिए मैं आप दोनों को अपने घर में रहने की इजाजत नहीं दे सकता इसी तरह से अगर किसी मुसलमान के घर में जाते तो वहां से भी इसी तरह का जवाब सुनने को मिलता । इसी तरह से धीरे-धीरे रात होने लगी और अंधेरा भी हो चुका था । भाई मरदाना जी निराश होकर वापस चले गए और सारी बात श्री गुरु नानक देव जी को बताई ।

श्री गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना गांव के बाहर से ही आगे चल दिए । गांव से थोड़ा आगे आने पर श्री गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना जी को एक झोपड़ी दिखाई दी, जिसके अंदर एक दिया जल रहा था । जब श्री गुरु नानक जी और भाई मरदाना जी झोपड़ी के पास गए तो उन्हें पता लगा के इस झोपड़ी में एक कोढ़ी रहता है, जिसको इसके घर वालों ने गांव के बाहर एक झोपड़ी बनाकर दे दी है ।

गुरु नानक देव जी ने कोढ़ी को कैसे ठीक किया

उस कोढ़ी के घरवाले उसका खाना झोपड़ी के बाहर रख जाते हैं और यह रोटी खा लेता है । इसकी लाइलाज बीमारी के कारण कोई भी इसके पास नहीं आता था । गुरुजी को कोढ़ी के ऊपर बहुत दया आई । गुरु नानक देव जी जब झोपड़ी के अंदर जाने लगे तो उस कोढ़ी ने कहा के आप अंदर मत आओ क्योंकि मुझे बहुत ही खतरनाक बीमारी है । मेरी वजह से कहीं आप भी इस बीमारी का शिकार ना हो जाए इसलिए आप मेरे से दूर ही रहो ।

श्री गुरु नानक देव जी ने कोढ़ी की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और झोपड़ी के अंदर चले गए, उनके साथ साथ भाई मरदाना जी भी अंदर चले गए । कोढ़  की वजह से उस कोढ़ी को असहाय दर्द होता था जिसको सहन करना बहुत ही मुश्किल था । श्री गुरु नानक देव जी को कोढ़ी की यह हालत देखकर बहुत दया आई, उन्होंने भाई मरदाना को कहा कि मर्दाना जी आप रबाब बजाओ मैं कीर्तन करूंगा । भाई मरदाना जी रबाब बजाने लग गए और गुरुजी ने कीर्तन किया । जिसका मतलब था कि शरीर को रोग तो तभी लगते हैं जब इंसान का मन रोगी हो जाता है और मन तभी रोगी होता है जब इंसान परमात्मा का नाम लेना भूल जाता है । इन सभी बीमारियों का एक ही इलाज है अपने आप को परमात्मा से जोड़ना । इसका मतलब यह है कि जिसने हमें यह शरीर दिया है वह हमें सेवा के लिए बख्शा गया है लेकिन जब हमारा ध्यान सेवा  की तरफ नहीं जाता तो हमारा शरीर रोगी हो जाता है।

श्री गुरु नानक देव जी का कीर्तन सुनकर वह कोढ़ी उठ कर बैठ गया । उस कोढ़ी को अपने शरीर में झनझनाहट सी महसूस हुई और उसे अपने शरीर में स्फूर्ति सी महसूस हुई । उस रात कोढ़ी काफी देर तक गुरु जी से बातें करता रहा । अगले दिन जब श्री गुरु नानक देव जी स्नान के लिए जाने लगे तो कोढ़ी भी गुरुजी के साथ चल दिया । गुरुजी के स्नान करने के पश्चात कोढ़ी ने भी स्नान किया । उस कोढ़ी को स्नान करने के पश्चात ऐसा लगा कि उसके शरीर में कोई बीमारी है ही नहीं । उस कोढ़ी ने गुरुजी जी के चरण पकड़ लिए और उन्होंने गुरु जी से प्रार्थना की के आप कुछ दिन और मेरी झोपड़ी पर रहे । श्री गुरु नानक देव जी ने उसकी बात मान ली और कुछ दिन और वहीं रुक गए ।

गुरु नानक देव जी ने कोढ़ी को कैसे ठीक किया

कुछ ही दिनों में कोढ़ी बिल्कुल ठीक हो गया । जब गांव वालों को यह बात पता चली के कोढ़ी को गांव में आए महात्मा ने ठीक किया है तो गांव के लोग दौड़ कर गुरुजी के पास आ गए और कहने लगे कि महात्मा जी आप हमें माफ कर दें जो हमने उस दिन रात को आपको रहने के लिए जगह नहीं दी । हमसे अनजाने में बहुत बड़ी भूल हो गई है, कृपया करके हमें माफ कर दें ।

तब श्री गुरु नानक देव जी ने उनको समझाते हुए कहा कि अगर आपके गांव में कोई अजनबी आता है और आपसे मदद मांगता है तो आप की जिम्मेवारी है उसकी सहायता जरूर करो और दूसरी बात यह है कि अगर किसी इंसान को कोई बीमारी हो जाती है तो उसे अपने से दूर मत करो, बल्कि उसका मनोबल बढ़ा कर तुम्हें उसकी सेवा करनी चाहिए । गांव के सभी लोगों ने श्री गुरु नानक देव जी को वचन दिया कि आगे से हम ऐसी कोई गलती नहीं करेंगे और जो रास्ता आप ने दिखाया है उसी पर चलेंगे ।

श्री गुरु नानक देव जी की सुंदर साखी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा परमात्मा को याद करना चाहिए और दुखी और जरूरतमंदों की सेवा करनी चाहिए क्योंकि मालिक ने हमें यह इंसानी जन्म सेवा के लिए ही दिया है, अगर हम परमात्मा को पाना चाहते हैं तो गुरु नानक देव जी के वचनों का दिल से पालन करना चाहिए ।

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