Guru nanak dev ji sakhi- गुरुजी ने अपने सिख का घर क्यों जलाया - spiritualstories

Guru nanak dev ji sakhi- गुरुजी ने अपने सिख का घर क्यों जलाया

 

Guru nanak dev ji sakhi
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गुरुजी ने अपने सिख का घर क्यों जलाया

श्री गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना एक बार यात्रा करते हुए एक गरीब सिख के घर पहुंचे गुरु साहब को अपने घर आया देखकर पूरा परिवार  बहुत खुश हुआ और गुरु साहिब की सेवा में लग गया । वह सिख बहुत गरीब था और एक छोटी सी झोपड़ी में रहता था लेकिन उसने फिर भी हिम्मत जुटाकर गुरु जी को कहा, मेरी झोपड़ी आपके रहने लायक तो नहीं है लेकिन मेरी आपसे प्रार्थना है मुझे कुछ दिन अपने सेवा करने का मौका दें ।

गुरु नानक देव जी उसका प्यार देखकर कुछ दिन वहां रुकने के लिए तैयार हो गए । उस सिख ने अपने परिवार को कहा, हमारे घर परमात्मा खुद चलकर आए है, हम उनको बाहर नहीं सुला सकते इसलिए इनके रहने का इंतजाम  हम झोपड़ी के अंदर कर देते हैं और खुद हम लोग बाहर सो जाते हैं । वह सभी लोग बाहर सो गए और गुरु जी का सोने का इंतजाम  अंदर कर दिया ।

जब आधी रात का समय हुआ तो आसमान में बादल छा गए और बारिश होने लगी । गुरु नानक देव जी अपने शिष्य की जानबूझकर परीक्षा ले रहे थे । उस सिख ने सोचा कि बारिश शुरू हो गई है और थोड़ी देर में ही झोपड़ी के अंदर पानी टपकना शुरू हो जाएगा और गुरु जी की नींद खराब हो जाएगी यह सोचकर सिख ने अपने परिवार को उठाया और जिन चादरों और गद्दे पर वह सो रहे थे वह सब झोपड़ी के ऊपर डाल दिए ताकि पानी अंदर ना जाए । पूरी रात बारिश होती रही । पूरा परिवार बाहर बारिश में बैठा रहा लेकिन अंदर गुरु साहिब को बिल्कुल भी खबर ना होने दी । पूरा परिवार सोच रहा था कि गुरु जी सो रहे हैं लेकिन गुरु नानक देव जी सब कुछ देख रहे थे ।

गुरुजी ने अपने सिख का घर क्यों जलाया

जब सुबह का समय हुआ तो बारिश बंद हो गई तो और लोग भी गुरु नानक देव जी के दर्शन करने के लिए आने लगे । भाई मरदाना जी रबाब बजाने लगे और गुरुजी कीर्तन करने लग गए । गुरु जी ने सिख को कहा, जो संगत आई है उनके लिए लंगर पानी का इंतजाम करो । वहां धीरे-धीरे बहुत ज्यादा संगत बढ़ गई और तब गुरु जी ने कीर्तन का समापन किया । गुरु नानक देव जी ने कीर्तन खत्म करने के बाद सेवकों को कहा, जाओ लंगर में से एक जलती हुई लकड़ी लेकर आओ । श्री गुरु नानक देव जी के मुंह से यह बात सुनकर पूरी संगत हैरानी से उन्हें देखने लगी । सेवक गए और लंगर में से जलती हुई लकड़ी लेकर आ गए । श्री गुरु नानक देव जी ने सिख को कहा कि घर में तुम्हारा कोई जरूरी सामान है तो बाहर निकाल लो, क्योंकि आज हम जा रहे हैं और जाने से पहले हम तेरे घर को जलाकर जाएंगे ।

गुरुजी ने अपने सिख का घर क्यों जलाया

गुरु नानक देव जी के मुंह से यह वचन सुनकर पूरी संगत हैरान हो गई और उस सिख को कहने लगी, अपने घर में साधुओं को रखने का नतीजा देख लिया इन साधुओं की तुमने इतनी सेवा की खाना भी खिलाया और जाते-जाते यह तेरा घर भी जलाकर जा रहे हैं । सभी लोग आपस में तरह तरह की बातें करने लगे । श्री गुरु नानक जी ने एक बार फिर उस सिख से कहा कि तेरा घर अब हम जलाने लगे हैं अभी भी समय है अगर अंदर कुछ है तो निकाल लो ?

सिख ने हाथ जोड़कर जवाब दिया, मेरे लिए सबसे बड़ा आपका नाम है वह मेरे अंदर बसा दो इसके सिवाय मुझे और कुछ नहीं चाहिए । सिख के मुंह से यह वचन सुनकर गुरु नानक देव जी ने मरदाना को कहा, मरदानाया जाओ घर को आग लगा दो । मरदाना जी ने गुरुजी के हुकम के अनुसार वैसे ही किया और घर में आग लगा दी कुछ ही समय में पूरा घर जल गया । जब घर पूरी तरह जल गया तो गुरुजी ने उस सिख से पूछा कि भाई क्या तू जानना चाहता है कि हमने तेरा घर क्यों जलाया ?

उस सिख ने जवाब दिया, नहीं गुरु जी मैं नहीं जानना चाहता के आपने मेरा घर क्यों जलाया है । गुरु नानक देव जी ने फिर पूछा ? तेरे पास तो एक ही घर था और तेरी जरूरत का सारा सामान भी उसके अंदर था जिसको हमने जलाकर राख कर दिया है । क्या तुम बिल्कुल भी नहीं जानना चाहते कि हमने यह सब क्यों किया है ? सिख ने जवाब दिया गुरुजी मेरे पास जो कुछ भी है आपका ही है इसलिए मुझे कुछ भी नहीं जानना । श्री गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना उसके यह वचन सुनकर उसको आशीर्वाद देकर वहां से चले गए ।

गुरु नानक देव जी के जाने के पश्चात उस सिख ने जब अपने घर की राख इकट्ठी की तो उस राख में से एक मटकी मिलती है जो सोने की अशर्फियो से भरी होती है जिसको देखकर वह सिख और उसका परिवार बहुत खुश होता है ।

शिक्षा : दोस्तों अगर आप दिल के सच्चे हो और अच्छे कर्म करते हो तो अगर आपके साथ कुछ बुरा भी हो रहा है तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकि सच्चाई पर चलने वालों की ही परमात्मा परीक्षा लेता है जो उसकी परीक्षा में कामयाब हो जाता है उसके ऊपर परमात्मा की कृपा हो जाती है और वह जीवन मरण के चक्कर से पार हो जाता है ।

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