Sakhi guru nanak dev- वली कंधारी का अहंकार कैसे टूटा - spiritualstories

Sakhi guru nanak dev- वली कंधारी का अहंकार कैसे टूटा

 

Sakhi guru nanak dev
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वली कंधारी का अहंकार कैसे टूटा

श्री गुरु नानक देव जी मक्का से वापस आते हुए हसन अब्दल शहर में पहुंचे, वहां पर उन्होंने एक पहाड़ी के नीचे अपना डेरा लगा लिया । जिस पहाड़ी के नीचे गुरुजी ने अपना डेरा लगाया था उस पहाड़ी के ऊपर पीर वली कंधारी रहता था जिसको आसपास के लोग बहुत मानते थे । गुरु नानक देव जी के साथ भाई मरदाना जी भी थे ।

भाई मरदाना जी ने गुरु जी से प्रार्थना की, गुरु जी मुझे बहुत प्यास लगी है अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं पानी पी आऊं, गुरु नानक देव जी ने मरदाना जी को कहा, इस पहाड़ी के ऊपर एक फकीर रहता है जिसका नाम वली कंधारी है उसके पास पानी का एक चश्मा है जिसमें हमेशा पानी रहता है । तुम एक बार पहाड़ी के ऊपर जाओ और वली कंधारी को कहो  के वह तुम्हें पानी दे दे । भाई मरदाना गुरुजी के आदेश अनुसार पानी पीने के लिए पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गया ।

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 पहाड़ी की चोटी पर वली कंधारी बैठा हुआ था । भाई मरदाना जी ने वली कंधारी को प्रार्थना की कि मुझे बहुत प्यास लगी हुई है अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं आपके चश्मे से थोड़ा पानी पी सकता हूं वली कंधारी ने कहा, इस चश्मे का पानी मैंने अपने लिए रखा है अगर मैं इस तरह पानी बांटता रहूंगा तो कुछ ही समय में खत्म हो जाएगा तो फिर मैं कहां से पानी पियूंगा ।  मरदाना जी ने दोबारा प्रार्थना की मैं इस इलाके में परदेसी हूं मुझे इस जगह का कोई पता भी नहीं है जहां पानी मिल सकता हूं । आपकी बहुत कृपा होगी अगर आप थोड़ा सा पानी मेरी प्यास बुझाने के लिए दे दो तो इसके बाद हमने आगे जाना है । वली कंधारी के ऊपर भाई मरदाना जी की बातों का कोई असर नहीं हुआ ।

भाई मरदाना जी निराश होकर गुरु नानक देव जी के पास वापस आ गए और गुरु जी को पूरी घटना सुनाई तो गुरु जी ने भाई मरदाना जी को कहा, तुम वली कंधारी के पास वापस जाओ और उसको बोलो, फकीरों के अंदर अहंकार नहीं होना चाहिए, परमात्मा का दिया हुआ जो कुछ भी है उसको मिल बांटकर  खाना चाहिए खुदा की खुशी इसी में है । गुरु नानक देव जी की आज्ञा से भाई मरदाना दोबारा से पहाड़ी की चोटी पर चला गया और वली कंधारी को वैसे ही बोल दिया जैसे श्री गुरु नानक देव जी ने कहा था ।

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भाई मरदाना की बात सुनकर वली कंधारी को गुस्सा आ गया और वह कहने लगा, अगर तेरे गुरु में इतनी  शक्ति है तो वह तुझे खुद ही पानी क्यों नहीं पिला देता । वली कंधारी की बात सुनकर मरदाना निराश होकर नीचे लौट आया और गुरु जी को वही बताया जो वली कंधारी ने उसको कहा था । भाई मरदाना की बात सुनकर गुरु नानक देव जी ने कहा, मरदानया मालिक जो कुछ भी करता है अच्छे के लिए ही करता है, तुम निराश मत हो, वह सामने जो पत्थर पड़ा है उसको थोड़ा सा एक तरफ करो,  मरदाना जी ने वैसे ही किया, जैसे ही उन्होंने पत्थर को थोड़ा सा हटाया तो नीचे से शीतल जल निकल आया जिसको देखकर भाई मरदाना जी बहुत खुश हुए और उन्होंने जी भर कर पानी पिया ।

पहाड़ी के ऊपर बैठे हुए वली कंधारी की नजर अपने चश्मे के ऊपर पड़ी तो वह क्या देखता है के उसके चश्मे का पानी कम होता जा रहा है । जब उसने नीचे की तरफ देखा तो भाई मरदाना जी पानी पी रहे थे यह सब देख कर वली कंधारी को गुस्सा आ गया और उसने गुरुजी और भाई मरदाना को मारने के लिए योजना बनाई । वली कंधारी ने एक बड़ी सी चट्टान को पहाड़ी के ऊपर से नीचे की तरफ लुढ़का दिया, इतनी बड़ी चट्टान को नीचे आते देखकर वहां बैठे सभी लोग इधर-उधर दौड़ गए लेकिन गुरु नानक देव जी अपनी जगह पर ही बैठे रहे । जो लोग इधर उधर हो गए थे वह वहां खड़े होकर जोर जोर से शोर मचाने लगे और गुरु जी से कहने लगे ऊपर से चट्टान आ रही है आप एक तरफ हो जाओ लेकिन गुरु जी ने उन सभी की बातों को अनसुना कर दिया और वहीं पर बैठे परमात्मा का सिमरन करते रहे ।

पहाड़ी के ऊपर से लुढ़कती हुई चट्टान जैसे ही गुरुजी के पास आई तो गुरु जी ने चट्टान की तरफ अपना पंजा कर दिया, तो चट्टान वहीं पर रुक गई । गुरु नानक देव जी के हाथ का पंजा चट्टान के ऊपर छप गया । जब वली कंधारी ने यह चमत्कार देखा तो वह नीचे आकर गुरु जी के चरणो में गिर गया और अपनी गलती की माफी मांगने लगा । गुरु नानक देव जी ने उस को उपदेश दिया कि जो कुछ भी परमात्मा ने दिया है उसके ऊपर कभी अहंकार नहीं करना चाहिए परमात्मा जब चाहे उन चीजों को वापस ले सकता है।

जैसे तुम्हें भी अपने पानी के चश्मे पर बहुत अहंकार था लेकिन उसने कुछ ही क्षणों में तेरा पानी वाला चश्मा खाली कर दिया । जिस जगह पर श्री गुरु नानक देव जी के पवित्र कदम पड़े थे उस जगह का नाम अब पंजा साहिब है ।

शिक्षा : दोस्तों गुरु नानक देव जी की सुंदर साखी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी भी चीज का अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि जो कुछ आज हमारे पास है वह कल किसी और के पास था और आने वाले समय में किसी और के पास चला जाएगा जो चीज थोड़े समय के लिए हमें मिली है उसका अहंकार हमें कभी नहीं करना चाहिए ।

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