कर्मो का हिसाब
जब बड़े महाराज जी रावलपिंडी में थे तो वहां उनके एक दोस्त ने यह वाकया सुनाया: एक फौजी अफसर रिसाले में नौकर था । काबुल की और पठानों ने कुछ फसाद किया जिसे रोकने के लिए एक दस्ते को हुकुम दिया गया जिसमें वह सिपाही था। जब वह वहां गया तो दोनों तरफ से गोलियां …