संत की निंदा
सत्ता और बलवंडा गुरु अर्जुन देव जी के दरबार में कीर्तन किया करते थे | अपनी कमअक्ल और उतावलेपन के कारण उन्होंने बिना सोचे समझे गुरु जी से अर्ज की कि घर में बेटी की शादी है, संगत से कहो कि यह दान इकट्ठा करके उनकी सहायता करें | जब उन्हें कुछ सहायता न मिली…