जीवन का असल मकसद
एक बार बादशाह ने, जिसकी कोई औलाद नहीं थी, एक सात मंजिला महल बनवाया और अपनी सारी दौलत अलग-अलग मंजिलों पर फैला दी। पहली मंजिल पर कोडिया, दूसरी मंजिल पर पैसे, तीसरी मंजिल पर रुपए, चौथी मंजिल पर सोने की मोहरे, पांचवी मंजिल पर मोती, छठी मंजिल पर अच्छे-अच्छे हीरे जवाहरात और सातवीं मंजिल…