बाबा नानक और पाखंडी पंडित
सुबह का समय था सूर्य उदय हो रहा था। एक पंडित पेड़ के नीचे आंखें बंद करके बैठा हुआ था। बीच-बीच में वह पंडित आसमान की तरह देख रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी गहरी सोच में हो। थोड़ी थोड़ी देर बाद में है हल्का-हल्का मुस्कुरा भी रहे थे, उनके सामने…