संमन और मूसन का बलिदान
श्री गुरु अर्जुन साहिब के वक्त दो व्यक्ति, पिता और पुत्र, अच्छे प्रेमी और शब्द के अभ्यासी थे। पिता का का नाम संमन और पुत्र का नाम मूसन था। वे मजदूरी करके अपना गुजारा करते थे। जब गुरु साहिब अमृतसर से लाहौर गए तो कोई सेवक कहे कि मेरे घर खाना खाओ, कोई कहे मेरे…